पहले एक नजर इस तस्वीर पर डालिए, क्या आपको कुछ याद आ रहा है। अगर नहीं तो हम बताते हैं कि ये तस्वीर लगभग 28 साल पुरानी है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमति इंदिरा गांधी अपने दिवंगत पुत्र संजय गांधी के सपने को पूरा कर रही हैं। संजय ने सपना देखा था कि देश के मध्यम श्रेणी के लोगों के लिए कार की सवारी का। यानि ऐसी सस्ती कार बनाने का जिसे लोग आसानी से खरीद सकें। चित्र में श्रीमति गांधी मारुति 800 पहली कार की चाभी लकी खरीददार दिल्ली के हरपाल सिंह को सौप रही हैं। लेकिन ये क्या खबर है, खबर ये है कि अब इस कार के पहिए थम जाएंगे, क्योकि मारुति ने 25 अप्रैल से इस कार के उत्पादन को पूरी तरह से बंद करने का निर्णय लिया है।
मारुति 800 कार का सफर लगभग 28 साल का रहा और इस दौरान कंपनी ने 28 लाख से ज्यादा कारें लोगों तक पहुंचाई। सच कहूं तो जिन लोगों की हैसियत एक सामान्य स्कूटर की रही, उनके हाथ में मारुति ने अपनी कार की चाभी थमाई। मारुति देश मे पहली कार निर्माता कंपनी है, जिसकी सबसे ज्यादा कारें सड़कों पर फर्राटा भर रही हैं। इसमें मारुति 800 कार सड़कों पर दौड़ लगाने वाली चौपहिया वाहनों में पहले नंबर पर है। कंपनी का कहना है कि वह अब इसकी जगह एक नई कार को बाजार में उतारेगी। हालांकि अभी इसके नाम का खुलासा नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि मारुति की सर्वो को मारुति 800 का स्थान दिया जा सकता है। वैसे सच ये है कि अब कोई कार मारुति 800 की जगह ले पाएगी, ये कहना काफी मुश्किल है। इसकी वजह है कि अब भारत में कई कंपनियों की छोटी कारें मौजूद हैं जो मारुति की नई कार को कड़ी चुनौती दे सकती है।
मारुति सुजूकी इंडिया के चेयरमैन आर. सी. भार्गव का कहना है कि 'मारुति 800 के साथ कंपनी भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई है। लेकिन कारोबार पर भावना को हावी नहीं होने दिया जा सकता। कंपनी ने इसे बीएस-4 उत्सर्जन मानकों के अनुरूप नहीं ढाला है।' अब एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, चेन्नै, बेंगलुरु, हैदराबाद और अहमदाबाद सहित 13 शहरों में बीएस-4 उत्सर्जन मानक लागू हो गए हैं, जबकि देश के अन्य शहर अक्टूबर में बीएस-3 उत्सर्जन मानकों को अपनाएंगे। ऐसे में इस कार के उत्पादन को बंद करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था।
आपको याद होगा कि 1983 में जब इस कार की शुरुआत हुई थी उस समय लोगों के घरों में एंबेसडर कार या फिर फिएट हुआ करती थी। लेकिन मारुति ने अपने आकर्षक लुक और बेहतर एवरेज के चक्कर में इन दोनों कारो की छुट्टी कर दी। मुझे याद है कि उस दौरान मैं इंटर में पढ़ रहा था, हमारे यहां एक सफेद रंग की फिएट कार हुआ करती थी, हमारे पडो़स में रहने वाले गुप्ता जी ने मारुति 800 कार खरीदी, तो उनके घर में पूरा मुहल्ला जमा हो गया इस कार को देखने के लिए। गुप्ता जी जब ये कार लेकर निकलते थे तो हम सब इस कार की ओर ललचाई आंखों से देखा करते थे। मुझे याद है गुप्ता जी का पूरा परिवार सुबह सुबह इस कार को पोछने में जुटा रहता था।
बहरहाल बाजार में प्रतिस्पर्धा है और जब भी प्रतिस्पर्धा होती है, तो इसका फायदा उपभोक्ताओं को ही मिलता है। मारुति 800 और आल्टो को बंद कर कंपनी इससे भी कुछ कम कीमत में दूसरी कार बाजार में उतारने जा रही है। आपको पता है इस समय टाटा की नैनो सबसे सस्ती कारों में शुमार है और एक सर्वे से पता चला है कि ये युवाओं और महिलाओं की खास पसंद है। कंपनी इसी वर्ग को ध्यान में रखकर नई कार का प्लान कर रही है। उसे पता है कि बाजार पर कब्जा बनाने के लिए नैनो से बेहतर और उसके आप पास की कीमत में ही कार को मार्केट में लाना होगा। तो क्या करना है कुछ दिन इंतजार कर ही लेते हैं। वैसे सच बताऊं मारुति 800 बहुत याद आएगी।