पैर में चुभा कांटा, जब चलने में मुश्किल पैदा करे, तो उसे निकालना जरूरी हो जाता है। भले ही आपको कितनी भी जल्दी हो आगे जाने की, लेकिन कुछ देर रुक कर अगर आपने कांटे को निकाल दिया तो, उसके बाद आपकी रफ्तार भी बढ़ जाएगी और कांटा चुभेगा भी नहीं।
ये सामान्य सी बात देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को ना जाने क्यों समझ में नहीं आ रही है। मुझे लगता है कि अब सही वक्त आ गया है जब सरकार के लिए मुश्किल पैदा करने वाले मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। किसी एक मंत्री के आचरण की वजह से अगर संसद बाधित हो जाए, तो इसे सामान्य घटना नहीं मानी जानी चाहिए।
गृहमंत्री पी चिदंबरम पर गंभीर आरोप हैं। टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन के गोरखधंधे में ए राजा के साथ चिंदंबरम को शामिल बताया जा रहा है। सुब्रह्मयम स्वामी ने जितने सुबूत अब तक पेश किए है, उससे ये भले ना साफ हो कि वो चोरी में शामिल थे, परंतु चिदंबरम के भूमिका की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, इसके लिए ये सुबूत पुख्ता हैं। अब अगर चिदंबरम के खिलाफ जांच के पुख्ता सुबूत हैं, तो उनके मंत्री रहते हुए भला जांच कैसे हो सकती है?
प्रधानमंत्री जी पांच मिनट रुकिए और सोनिया गांधी से सलाह कीजिए कि अब चिदंबरम को बाहर का रास्ता दिखाए बगैर सरकार को आगे चलाना संभव नहीं है। मनमोहन जी गृहमंत्री बहुत जिम्मेदारी का पद है, यहां दागी मंत्री को बैठाना ठीक नहीं है। आपने पूर्व गृहमंत्री शिवराज सिंह पाटिल को सिर्फ इसलिए सरकार से बाहर कर दिया था कि उन्होंने बम धमाके वाले दिन तीन बार सफारी सूट बदल दिया था। उनका अपराध इनके अपराध के मुकाबले कुछ भी नहीं था। इसलिए बिना ज्यादा सोच विचार किए चिदंबरम को तत्काल सरकार से बाहर का रास्ता दिखाएं।
अच्छा प्रधानमंत्री की तो मजबूरी है, उन्हें सब को साथ लेकर चलना होता है। मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि चिदंबरम में की क्या मजबूरी है। आप खुद को नेक इंशान, चरित्रवान, और ईमानदार मानते हैं। देश की संसद में आपका बहिष्कार चल रहा है, आपको लोग सुनने को तैयार नहीं है। बेईमानी का दाग लगा है, धोखाधडी करने वाले उद्योगपति को बचाने के लिए कुर्सी का बेजा इस्तेमाल के पुख्ता कागजात अखबारों और टीवी चैनलों के दफ्तर में पहुंच चुके हैं। देश आपके बारे में एक राय बना चुका है कि आप के कपडे जितने सफेद हैं, कामधाम उतना पाक साफ बिल्कुल नहीं है। वैसे भी सफेद कमीज पर दाग जल्दी लगती भी है और दिखती भी है। तो कुर्सी पर चिपके रहने की जिद्द क्यों है ? बहरहाल सियासी गलियारे से जो खबरे छन कर आ रही हैं, बताया जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान भी इस बात से अब सहमत है कि चिदंबरम से पीछा छुडा लिया जाना चाहिए, लेकिन मुश्किल ये है कि अगला गृहमंत्री बनाया किसे जाए। विकल्प मिलते ही चिदंबरम से कहा जाएगा कि गृहमंत्री रहते हुए उन्हें अपना केस लड़ने के लिए पूरा समय नहीं मिल पाएगा, लिहाजा वो कोर्ट में जाकर अपनी और अपने उद्योगपति मित्र की कानूनी लड़ाई लड़ें।
वैसे प्रधानमंत्री जी आपका एक मंत्री और नाकारा है, जिसकी जिम्मेदारी होती है कि वो संसद सत्र के दौरान ऐसा फ्लोर मैनेज करे कि कम से कम जरूरी काम तो पूरे हो ही जाएं। लेकिन पहले नौ दिन एफडीआई के मामले में निकल गए, अब दो दिन चिंदबंरम जी के भेंट चढ गई। फ्लोर मैनेजर की हालत ये है कि संसद के भीतर वो विपक्ष को तो मैनेज कर नहीं पाए, सहयोगी दलों के सांसद भी शोर शराबा करते रहे।

कुछ तो है जो चिदम्बरम को बचाए हुए है.....
ReplyDeleteविचारणीय पोस्ट।
कुछ तो गड़बड़ है ....
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