Friday, December 30, 2011

आओ: मनाएं नया साल



  
                             करें   परिवेश  का  मंथन,  मिलेगा  सत्य  शिव सुंदर,
                                            हलाहल भी अगर निकले, पिएं बन सौम्य शिव शंकर।

                                            मिटे संशय अनास्था तम् , मिटे विद्वेष और जड़ता,
                                             कुहासे  में  दबे  रवि की, पुन: बिखरे  सहज ममता।

                                            सुधा हो तन, सुधा  हो मन, सुधा चिंतन, सुधा वाणी,
                                            सुधा अपना, सुधा सबका, सुधा हो विश्व कल्याणी।

                                            उठो! ऐ देव संतानों, सुनों कुछ कह रहा कण-कण,
                                            सुधा  बन  जाए  मंथन का, सुनहरा  वर्ष ये नूतन।

नव वर्ष मंगलमय हो,
स्वागत            2012




5 comments:

  1. नववर्ष मंगलमय हो

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  2. उठो! ऐ देव संतानों, सुनों कुछ कह रहा कण-कण,
    सुधा बन जाए मंथन का, सुनहरा वर्ष ये नूतन। bahut khoob... nav varsh ki bahut bahut shubhkamnayen...

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  3. करें परिवेश का मंथन, मिलेगा सत्य शिव सुंदर,
    हलाहल भी अगर निकले, पिएं बन सौम्य शिव शंकर।
    क्योंकि -
    जिसे नहीं रहना अब
    उसे लहरें अपने आगोश की पनाह देती हैं
    फिर मंथन मंथन मंथन
    और यादें बाहर रख जाती हैं
    कुछ मीठी कुछ खट्टी कुछ तीती कुछ ज़हरीली ....
    सिर्फ ज़हर क्यूँ उठाना ?
    अगर उठाना ही चाहते हो
    तो एक बार सागर को देखो
    ज़हर को तो उसने पी लिया
    जो लौटा गया है-
    वह सीख है
    कि तुम्हें याद रहे
    ज़हरीले लोग कौन थे !....नया वर्ष मंगलमय हो

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  4. आपको और आपक‍े परिवार को भी नव वर्ष की शुभकामनाएं......
    नया साल आपके जीवन में समृध्दि और खुशहाली लेकर आए.....

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  5. nav varsh ki rachana behad sundar lgi ,,,,,,abhar.

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