Tuesday, September 25, 2012

जय हो ! मोबाइल से ट्रांसफर कर देता है " कृपा "


निर्मल बाबा की तरह कृपा का कारोबार करने वाले बाबा देश के कोने-कोने में छुपे हैं। अब ताजा मामला फैजाबाद का है। अंडा बेच कर किसी तरह परिवार चलाने वाला पप्पू अब समागम के जरिए लोगों का इलाज कर रहा है। बेचारी भोली-भाली जनता की बीमारी ठीक होने की आस में यहां डेरा डाले हुए है और  पप्पुवा अपना उल्लू सीधा कर रहा हैं।

बस पपुआ को देखते ही आपकी बीमारी छू मंतर हो जाएगी। हालाकि यहां का राग निर्मल बाबा से थोड़ा अलग है। पप्पू बाबा ने ईशा मसीह के नाम की दुकानदारी खोल रखी है। यहां तड़पते लोगों का रोग देखते ही देखते भाग जाता है। इसके छूने से लड़कियां गिर पड़ती हैं, ईश्वर की कृपा ट्रांसफर होने लगती है और सारे रोग-दोष भाग खड़े होते हैं। पप्पुआ का दावा तो यह भी है कि वो मोबाइल से ही कृपा ट्रांसफर कर सकता हैं, इससे छोटी मोटी नहीं कैंसर जैसी बीमारी भी वो ठीक कर देता हैं। इस दरबार में ऐसे लोगों की कमी नहीं, जिनके पास पप्पू बाबा के चमत्कार के कई किस्से ना हों।

लेकिन पप्पू बाबा को यहां स्थानीय लोग फ्राड बता रहे हैं। यहां के अफसर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं, उनका कहना है कि जब तक कोई शिकायत ना करे, उसे कैसे पकड़ा जा सकता है। दरअसल पप्पू बाबा का पूरा नाम राजकुमार प्रजापति है। गरीब परिवार में पैदा हुआ पप्पू आठवीं के बाद नहीं पढ़ पाया। ये कुछ दिन तक अंडे का ठेला भी लगाया, लेकिन इसका कोई भी कारोबार नहीं जम सका। लिहाजा पप्पू बन गया बाबा, अंधविश्वास का कारोबार चल निकला।

पहले हम सबने निर्मल बाबा की कृपा देखी, स्वामी नित्यानंद का दिव्य ज्ञान और पॉल दीनाकरन के चमत्कार के दावे भी देखे हैं। लेकिन धर्म-आध्यात्म और विश्वास के परदे में अंधविश्वास और पाखंड फैलाने वालों की कमी नहीं है. इस कड़ी में एक नया नाम है पप्पू बाबा का. जो सिर्फ छूकर अपने भक्तों को मदहोश करने और फिर उसकी सारी मुसीबतों को छू-मंतर करने का दावा करता है। अब बताइये पप्पू ने तो निर्मल बाबा को काफी पीछे छोड़ दिया है, ये मोबाइल से ही कृपा ट्रांसफर कर देता है और सात समंदर पार बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है।







Wednesday, September 5, 2012

हैप्पी.... टीचर्स डे

हाहहाहाह... कितना समय बदल गया। कल के टीचर सिर्फ यादों में रह गए हैं और आज का "टीचर" हमेशा साथ है। वो टीचर पूरे दिन पढ़ा पढ़ाकर दिमाग को थका देते थे, ये टीचर दिमाग को कितना शुकून देता है। अब देखिए उस पुराने टीचर का देश दुनिया में कितना सम्मान है, लेकिन बेचारे इस टीचर को तो घर में भी उतना सम्मान नहीं मिल पाता है, जितने का ये हकदार है।
चलिए जी आज के इस मुबारक मौके पर हम दोनों टीचर को दिल से याद करते हैं। हालाकि एक बात तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वो टीचर हमारे जीवन को सुधारने के लिए पूरे दिन डांट डपट करते रहे और इस टीचर की वजह से डांट डपट होती रहती है। उस टीचर के साथ जीवन का मकसद जुड़ा था और इस टीचर के साथ जीवन का अंतिम सत्य...।

चलिए जी कोई बात नहीं..  HAPPY TEACHER’s DAY