Wednesday, November 30, 2011

दोस्तों ! प्लीज हेल्प मी...

आमतौर पर मैं अपने फैसले लेने में सक्षम में हूं। ऐसा मसला जो सीधे मुझसे या मेरे परिवार से जुड़ा है, उस मामले में मैं कोशिश करता हूं कि अपनी राय पर कायम रहूं। व्यक्तिगत मामलों में मित्रों से राय मांगकर उन्हें परेशान करना कभी मेरी आदत नहीं रही है, लेकिन इस बार मैं बहुत उलझन में हूं, सच में मुझे इस वक्त आपकी सलाह ही मुश्किल से उबार सकती है।

कुछ दिन पहले मैं आस्था चैनल पर श्रीमद् भागवत की कथा सुन रहा था, उस दौरान स्वामी जी ने एक प्रसंग सुनाया और कहा कि मैं देखता हूं कि लोग व्यक्तिगत मामलों में भी दूसरों की सलाह लेते हैं। ये निशानी है कमजोर और अस्थिर दिमाग के लोगों की। स्वामी जी की सलाह थी कि अपने फैसले खुद लें, वो अच्छा हो या खराब । अगर आपने गलत फैसला ले भी लिया तो अगली बार ऐसी गल्ती नहीं करेंगे । जान लीजिए कभी भी अपना रिमोट दूसरों के हाथ में नहीं देना चाहिए, अपना रिमोट अपने ही हाथ में रखना चाहिए। ये जीवन की वो सच्चाई है जो लोगों को तब समझ में आती है, जब वो धोखा खा लेते हैं।
ये सब बातें जानते हुए भी अगर मैं यहां सार्वजनिक रूप से आप सब से सलाह मांग रहा हूं तो मित्रों आप मेरी उलझन और परेशानी से को समझ रहे होंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि आप ऐसी सलाह देगें, जिससे मैं मुश्किल से तो निकल ही सकूंगा, हमारे घर की गाड़ी भी आसानी से चलती रहेगी।

दरअसल केंद्र सरकार के अहम फैसले से मेरे घर का बजट सरप्लस हो गया है। यानि बचत पहले के मुकाबले ज्यादा होने लगी है। सरकार ने पहले पेट्रोल का दाम बढाया तो मैने कुछ और जरूरी मदों में कटौती कर पेट्रोल का खर्च पूरा कर लिया था। अब सरकार ने पहले दो रुपये प्रति लीटर पेट्रोल के दाम कम कर दिए तो बचत होने लगी। कार से आफिस जाने और आने में रोजाना तीन लीटर पेट्रोल का खर्च है। यानि रोज की बचत 6 रुपये महीना 120 रुपये बच रहे हैं। अब एक और अच्छी सूचना मिल रही है। दो एक दिन में ही पेट्रोल की कीमत एक रुपये और कम होने वाली है। ऐसे में अब मेरी बचत रोजाना नौ रुपये, महीने 270 रुपये और साल के 3240 रुपये हो जाएगी।

मित्रों मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि बचत के इस रकम को कहां और कैसे इस्तेमाल करुं। पहले सोचा कि दुबई के बुर्ज खलीफा में एक पांच बीएचके का फ्लैट ले लूं, फिर लगा कि क्यों दूसरे देश में इन्वेस्ट करुं, अपने यहां मुंबई के ही एंबीवैली में एक फ्लैट ले लेता हूं। घर में चर्चा हो रही थी बच्चों ने कहा कि पापा आप हमेसा शहर की ओर देखते हैं पहाड़ पर क्यों नहीं एक मकान ले लेते हैं, वहां कितना अच्छा मौसम रहता है। अब ये ऐसा मसला है कि हम सब कई दिन से उलझे हुए हैं कि बचत के इन पैसों का क्या करें, अगर हो सके तो प्लीज रास्ता बताएं।  

Monday, November 28, 2011

मीडिया: हम नहीं सुधरेगें...

आइये मित्रों आज मीडिया के कोढ़ की भी बात कर ली जाए । वैसे आप सबने  समाचार पत्रों में पढा ही होगा, पिछले दिनों  अंग्रेजी के एक न्यूज चैनल पर एक जज ने 100 करोड़ रुपये की मानहानि का दावा किया था, और कोर्ट ने माना कि दावा सही है और न्यूज चैनल पर 100 करोड़ रुपये भुगतान करने का आदेश दिया गया। हाईकोर्ट से होता हुआ ये मामला  सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, यहां कोर्ट ने कहा कि पहले 20 करोड़ रुपये आप जमा करें और 80 करोड़ का बांड दें उसके बाद इस मामले की आगे  सुनवाई होगी ।
अच्छा आप ये भी जान लें  कि मामला क्या था । एक पीएफ घोटाले के मामले में कुछ जजों के ही खिलाफ न्यायालय में  मामला चल रहा था । कोर्ट ने जजों को इस मामले में दोषी ठहराया। इस पर जिस जज को दोषी ठहराया गया था, उसी से मिलते जुलते नाम के एक जज की तस्वीर अंग्रेजी चैनल ने दिखा दिया। हालाकि गलती का अहसास होने पर इस चैनल ने प्राइम टाइम में माफी भी मांगी, पर कोर्ट में ये मामला  अभी चल रहा है और 100 करोड़ रुपये चैनल को देने हैं। 

ये तो हुई एक पुरानी घटना, जिसके जरिए ये बताने की कोशिश कर रहा हूं कि हम कितने दबाव मे काम करते है, लेकिन हमारी चमड़ी बहुत मोटी है । हम गल्तियों से सबक नहीं लेते । ये सच में चिंता का विषय है कि आखिर हम अपनी गल्तियों से सबक कब सीखेंगे।  मैं मानता हूं कि हम जिस दबाव में काम करते हैं, उसमें गल्तियां स्वाभाविक हैं, पर गल्तियों की पुनरावृत्ति भला कैसे हो सकती है, और अगर होती है तो जिम्मेदारी तय क्यों नहीं  होनी चाहिए।

हुआ क्या ।  अब आपको ये बताता हूं । पूर्व आईपीएस किरन बेदी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं ।  पिछले दिनों एक मामले का खुलासा हुआ कि उन्होंने हवाई जहाज के किराए में हेरा फेरी की । चलिए इस मामले में हम ये कह सकते हैं कि ये भ्रष्टाचार का मामला भले ना हो, लेकिन अनैतिक तो है ना । आप सामाजिक संस्था चलातीं हैं और सामाजिक संस्थाओं से किराए के नाम पर गलत वसूली कर रही हैं । खैर नया मामला अगर सही है तो किरन बेदी के मुंह से   ईमानदारी की बात सुनना भी बेईमानी होगी । अच्छा अब नए मामले की चर्चा कर दूं.. जिसमें कहा गया कि किरन बेदी ने अपनी संस्था के नाम पर दान प्राप्त किया और कहा कि इससे वे पुलिसकर्मियों के साथ ही सैन्य कर्मियों के बच्चों को कम्प्यूटर की ट्रेनिंग और कम्प्यूटर उपलब्ध कराएंगी । लेकिन बाद में पता चला कि किरन बेदी ने बच्चों से फीस वसूल किया।

ये मामला कोर्ट के सामने आया तो  कोर्ट ने उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर पाया कि किरन बेदी के खिलाफ मामला बनता है। कोर्ट ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर जांच  करने के आदेश दिए। अब इसमें ऐसा क्या हो गया कि टीम अन्ना के  पसीने  छूट गए । अगर न्यायालय के सामने एक मामला आया है तो जांच तो होनी ही चाहिए ना । पुलिस रिपोर्ट दर्ज किए बगैर जांच नहीं कर सकती, तो टीम अन्ना ने इतना हाय तौबा क्यों  मचाया।
खैर मामला किसी के खिलाफ भी दर्ज होता है तो आरोपी परेशान होता ही है, वो चाहता है कि खुद को साफ सुथरा बताए। टीम अन्ना भी मीडिया के सामने आई और  अपनी बात कहने  की कोशिश की । लेकिन मित्रों आज मैने टीवी पर देखा कि डुपट्टा ओढ़कर सांसदों की ऐसी तैसी करने वाली किरन की बोलती बंद थी । अरविंद केजरीवाल के पास किरन बेदी को साफ सुथरा  बताने के लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं था, वो ये कहते रहे कि कामनवेल्थ गेम के मामले में इतने सुबूत दिए, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया, पर किरन बेदी के खिलाफ दर्ज हो गया । भाई अरविंद जी पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज किया है, मुझे वो आदेश दिखाएं जिसमें कोर्ट ने आदेश दिया हो और पुलिस ने मामला दर्ज नही किया ।

हां.. आप सोच रहे होंगे कि हम तो बात मीडिया की कर रहे थे, ये कहां की बात होने लगी । मेरा मानना है कि   मीडिया से लोगों की बहुत उम्मीदें जुड़ी हैं,  हमें बराबरी का व्यवहार करना ही होगा । मेरा सवाल है सभी न्यूज चैनल  से कि कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज होने पर क्या हम आरोपी  और उसके गिरोह को ये छूट देते हैं कि वो  प्रेस कान्फ्रेंस करें और जज के फैसले को गलत बताए और हम उसका लाइव टेलीकास्ट करें । अगर हमने सफाई देने का ये मौका किसी और को उपलब्ध नहीं कराया तो किरन बेदी को क्यों ? क्यों सभी न्यूज चैनल ने सफाई देने के लिए बुलाई गई प्रेस कान्फ्रेंस में ओवी लगाया । केजरीवाल  ने जब जज के आदेश पर उंगली उठाई तो क्यों उसे लाइव दिखाया गया । एनबीए बार बार कहता है कि हम खुद ही अपने काम की समीक्षा करेंगे, क्या एनबीए ने इस मामले में कोई समीक्षा  की, अगर नहीं तो क्यों नहीं इस मामले में जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। 

देखिए ये नियम है कि जब आप सामने वाले पर एक उंगली उठाते हैं  तो तीन उंगली आपकी तरफ होती है । इसलिए ईमानदारी की बात उसे ही करनी चाहिए जिसने सामाजिक जीवन में कभी बेईमानी ना की हो । कभी अपने बच्चे के लिए दूसरे के बच्चों का हक ना छीना हो । जनलोकपाल बिल  का मामला अब बहुत आगे बढ चुका  है, लेकिन जो लोग इसके लिए आवाज उठा रहे हैं , अगर उनमें नैतिकता है तो उन्हें इस आंदोलन से खुद को अलग कर लेना चाहिए। क्योंकि जनता में एक  संदेश जा रहा है कि टीम अन्ना से ईमानदारी छवि के लोग  धीरे धीरे अलग हो रहे है । जस्टिस संतोष हेगडे और राजेन्द्र इसके उदाहरण हैं। 

बहरहाल  अब ये साफ होता जा रहा है कि कहीं ना कहीं मीडिया अपनी जिम्मेदारी को सही ढंग से नहीं निभा रही है, इस पर नियंत्रण की जरूरत है। अब ये नियंत्रण किस तरह से हो, इस पर जरूर विचार होना चाहिए । सरकारी नियंत्रण के खिलाफ तो मैं भी हूं, पर मुझे लगता है कि प्रेस काउंसिल  आफ इंडिया को और ताकतवर बनाकर प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया को इसके दायरे में लाना ही होगा ।  

Saturday, November 26, 2011

किरन बेदी : लोकपाल का रोड़ा

जी ! अगर मैं आज पूर्व आईपीएस अधिकारी किरन बेदी को जनलोकपाल बिल का रोड़ा कहूं तो गलत नहीं होगा, क्योंकि  मेरा  पहले से ही ये मानना रहा है कि  अगर जनलोकपाल  बिल को संसद में पास होने में किसी तरह की अड़चन आई तो उसके लिए जिम्मेदार कांग्रेस, बीजेपी या और कोई राजनीतिक दल नहीं होगा, बल्कि खुद अन्ना की टीम के अहम सहयोगी जिम्मेदार होगे।  दरअसल  आज देश में लोकपाल बिल से कहीं ज्यादा टीम अन्ना के सदस्यों पर लगे गंभीर आरोपों की चर्चा हो रही है। टीम अन्ना के  ज्यादातर सदस्य आरोपी हैं । मैं नहीं कहता कि उन्होंने कामनवेल्थ या टू जी घोटाले जैसा कोई महाघोटाला कर दिया, लेकिन मेरा मानना है कि जिस स्तर की चोरी में उनके सदस्यों का नाम आ रहा है, वो शर्मनाक ज्यादा है। जिस तरह के आरोप लगते हैं, उससे इतना तो हम कह सकते हैं कि इन लोगों को बडे माल पर हाथ साफ करने का मौका ही नहीं मिला, वरना ये उससे चूकते नहीं। बहरहाल एक  ताजा मामले का खुलासा और हुआ है किरन बेदी के खिलाफ।  इसमें कहा गया है कि किरन बेदी ने अपने ट्रस्ट "मेरी पुलिस" के नाम पर बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ के साथ ही राज्य पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों के परिवार वालों और बच्चों को कम्प्यूटर ट्रेनिंग के साथ ही कम्प्यूटर वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया था। इसके लिए पुलिस से उन्हें चार सेंटर उपलब्ध कराए गए थे, जबकि माइक्रोसाफ्ट कंपनी से 50 लाख रुपये का दान मिला।  दावा किया जा रहा था  ट्रेनिंग मुफ्त होगी, लेकिन उन्होंने इसके लिए हर बच्चे से 15- 15 हजार रुपये वसूल किए। इस मामले में एक वकील ने न्यायालय में वाद दायर किया है, जिस पर कोर्ट ने  किरन बेदी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए हैं। 
मुझे नहीं पता कि इस पूरे प्रकरण में किरन वेदी कितना जिम्मेदार  हैं, लेकिन इतना तो साफ है कि किरन बेदी भी साफ सुधरी अधिकारी नहीं रही हैं। खास  बात ये है कि वो जिस तरह के मामले में शामिल बताई जा रही हैं, वो शर्मनाक ज्यादा लगता है। अब सवाल ये है कि हवाई जहाज के किराए में हेरा फेरी का मामला खुला, दान लेकर भी बच्चों से पैसा वसूला गया। 
बहरहाल अब अन्ना को चाहिए कि वो अपने सबसे ऊपर वाले मंच पर अपनी टीम को ना आने दें। उनकी टीम के ज्यादातर सदस्य उनके बगल में खड़े होने लायक नहीं हैं।  किरन से तो मेरा सवाल भी है कि क्या अब आप अगले अनशन में उसी शान से हाथ में तिरंगा लहरा सकती हैं, जैसे लहराया करती थीं। क्या अब डुपट्टा ओढ़कर सांसदों की नकल करने में शर्म महसूस नहीं होगी। 
मेरा मानना है कि इस पवित्र आंदोलन से किरन बेदी को तब तक खुद हट जाना चाहिए, जब तक उन पर लगे सभी आरोपों से वो बेदाग नहीं हो जाती हैं। वरना अन्ना के आंदोलन पर जो धब्बा लगेगा, उसका दाग छुडा पाना असंभव होगा।  

Wednesday, November 23, 2011

पति को खतरनाक बीमारी दे रही हैं पत्नियां ?


अनचाहे गर्भ से बचने के लिए अगर आप गर्भ निरोधक दवाओं का इस्तेमाल करती हैं तो आजका ब्लाग आपके लिए है। हो सकता है कि अनजाने में आप अपने पति को एक खतरनाक बीमारी दे रही हों । बीमारी भी सर्दी जुकाम जैसी नही बल्कि कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी इसे हम प्रोस्टेट कैंसर कहें तो गलत नहीं होगा।
वैसे अभी इस मामले को लेकर बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं है,  क्योंकि  इस मामले में कनाडा में चल रहे शोध मे अंतिम निष्कर्ष तक डाक्टर नहीं पहुंचे हैं,  लेकिन टोरंटो विश्वविद्यालय में शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने पाया है कि गर्भ निरोधक गोलियों के इस्तेमाल और प्रोस्टेट कैंसर  के ताजा मामलों और उससे हो रही मौतों में अहम संबंध है।
इस मामले में हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्भ निरोधक गोलियों के इस्तेमाल करने वाली महिलाओं के यूरिन से इसका सीधा संबंध है। ऐसी महिलाओं के युरिन से निकलने वाले आस्ट्रोजेन  भोजन और पेयजल को दूषित कर सकते हैं।  यानि हार्मोन को इस तरह के कैसर के विकसित होने का कारण माना जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बीमारी धनी और अमीर देशों से कोई रिश्ता नहीं है, जिससे ये संकेत मिले कि ये बीमारी अमीर देशों तक ही सीमित है । रिपोर्ट के अनुसार ये गोलियां महिलाओं की याददाश्त को भी कमजोर करती हैं । हालाकि मैं यहां एक बार फिर दुहराना चाहूंगा कि शोध कर रहे वैज्ञानिक अभी इस मामले में अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं, लेकिन उनका भरोसा है कि ऐसा हो रहा है। इसलिए घबराने जैसी बात तो नहीं है, लेकिन हां अगर ये बात पूरी तरह सच साबित होती है, तो इसके दूरगामी नतीजे खतरनाक साबित हो सकते हैं।

Tuesday, November 22, 2011

अन्ना का तालिबानी फरमान...

शराब  पीना  ठीक नहीं है, मुझे लगता है कि इस बात से किसी को एतराज नहीं होगा। लेकिन शराब पीने वालों को खंभॆ सॆ बांधकर सार्वजनिक रूप से कोड़ा मारने की बात का समर्थन कुछ गिने चुने वे ही लोग कर सकते हैं जो तालिबानी  तौर तरीकों  के हिमायती हैं।

पता नहीं क्यों लगने लगा है कि अब अन्ना पर उनकी उम्र का असर दिखाई देने लगा है । वो अक्सर अपनी बात कानून के दायरे में रहकर नहीं कर रहे, कुछ भी कह रहे हैं, हर मामले में राय दे रहे हैं । फौज की नौकरी के दौरान खुद शराब पीने वाले अन्ना इस आदत को छुड़ाने के लिए जो तरीका अपनाने की बात कर रहे हैं, वो देश में आराजकता फैलाने वाला है ।  मैं कई बार सोचता हूं कि सिर पर गांधी टोपी रखने वाले अन्ना कहीं इस  टोपी की भी छीछालेदर ना कर दें। लोग उनमें गांधी को  देखते हैं और अन्ना  हैं कि गांधी जैसा व्यवहार करने को तैयार ही नहीं  है । हालाकि मुझे लगता है कि अन्ना का कम पढा लिखा  होना इसकी मुख्य वजह है।

अच्छा ! अन्ना  तो फिर अन्ना है. उनकी टीम माशाअल्लाह दो कदम और आगे हैं । देख रहा हूं कि उनकी  टीम को जैसे मुंह का बावासीर है,  ये पूरे दिन  टीवी चैनलों के चक्कर  काट रही है, हालाकि  अब इन्हें भी जनता के तीखे सवालों का सामना करना पड़ रहा है।  दो दिन पहले एक  खबरिया चैनल पर जब ये टीम आई तो जनता ने किरन बेदी से सवाल दागा कि आप भी इमानदार नहीं रहीं, आपने हवाई जहाज के किराए मे हेराफेरी की, अब उसे वापस करने की बात कह रही हैं ।  मुझे लगता  है कि आपको इतनी ही हेराफेरी करने का मौका मिला और आप उस लालच में आ गईं। किरन ने वही जवाब दिया जो आमतौर पर सफाई मे देती आ रही हैं । जनता ने प्रशांत को निशाना बनाया तो अरविंद केजरीवाल बोल पड़े ऐसी चर्चा करके आप ( टीवी) अपना समय खराब कर रहे हैं । अरे भाई आप टीवी पर जनता के सामने हैं तो जनता के सवालों का जवाब तो देना  होगा ना ।

बहरहाल अन्ना को देश प्यार करता है, उनको समर्थन दे रहा है, लेकिन अन्ना जनता के समर्थन को अधिकार समझने  की भूल  कर रहे हैं । अन्ना जी रामलीला मैदान भूल गए, जहां रोज रात को लोग शराब पीकर हंगामा करते रहे।  खुद आप और आपकी टीम सुबह मंच से लोगों से आग्रह करती थी कि  कृपया शराब पीकर हंगामा ना करें । सच बताऊं अन्ना जी अगर रामलीला मैदान में शराब पीने की मनाही हो जाती  ना तो जो भीड़ पूरी रात वहां  जमीं रहती थी, वो आधी हो जाती । आंदोलन को कामयाब बनाने में इसका भी योगदान है।

Monday, November 21, 2011

ऊंचे लोग,ऊंची पसंद...

 जी हां, आज यही कहानी सुन लीजिए, ऊंचे लोग ऊंची पसंद । मेरी तरह आपने  भी महसूस किया होगा  कि एयरपोर्ट पर लोग अपने घर या मित्रों से अच्छा खासा अपनी बोलचाल की भाषा में बात करते रहते हैं, लेकिन जैसे ही हवाई जहाज जमीन छोड़ता है, इसमें सवार यात्री भी जमीन से कट जाते हैं और ऊंची ऊंची छोड़ने लगते हैं। मुझे आज भी याद है साल भर पहले मैं  एयर इंडिया की फ्लाइट में दिल्ली से  गुवाहाटी जा रहा था । साथ वाली सीट पर  बैठे सज्जन  कोट टाई में थे, मैं तो ज्यादातर जींस टीशर्ट में रही रहता हूं। मैंने उन्हें कुछ देर पहले एयरपोर्ट पर अपने घर वालों से बात करते सुना था, बढिया राजस्थानी भाषा में बात कर रहे थे। लेकिन हवाई जहाज के भीतर कुछ अलग अंदाज में दिखाई देने लगे। सीट पर बैठते ही एयर होस्टेज को कई बार बुलाकर तरह तरह की डिमांड कर दी उन्होंने । खैर मैं समझ गया,  ये टिपिकल केस है । बहरहाल थोड़ी देर बाद ही वो  मेरी तरफ मुखातिब हो गए ।

सबसे पहले उन्होंने अंग्रेजी में मेरा नाम पूछा तो  मैने उन्हें  बताया कि गुवाहाटी  जा रहा हूं । उन्होंने  फिर दोहराया मैं तो आपका नाम जानना चाहता था, मैने फिर गुवाहाटी ही बताया। उनका चेहरा सख्त पड़ने लगा,  तो  मैने उन्हें बताया कि मैं  थोडा कम सुनता  हूं और  हां अंग्रेजी तो बिल्कुल नहीं जानता हूं । इस समय उनका  चेहरा देखने लायक था । बहरहाल दो बार गुवाहाटी बताने पर उन्हें मेरा नाम जानने में कोई इंट्रेस्ट नहीं रह गया । कुछ देर बाद उन्होंने कहा कि आप काम  क्या करते हैं। मैने कहा दूध बेचता हूं । दूध बेचते हैं ? वो  घबरा से गए, मैने कहा क्यों ? दूध बेचना गलत है क्या ?  नहीं नहीं  गलत नहीं है, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि आप क्या कह रहे हैं,  मतलब आपकी डेयरी है ? मैने कहा बिल्कुल नहीं  दो भैंस  हैं, दोनो से 12 किलो दूध होता है, 2 किलो घर के इस्तेमाल  के लिए रखते हैं और बाकी  बेच देता हूं।

पूछने  लगे  गुवाहाटी  क्यों  जा रहे हैं.. मैने कहा कि एक भैंस  और खरीदने का इरादा है, जा रहा हूं माता कामाख्या देवी का आशीर्वाद लेने । मित्रों इसके बाद  तो उन सज्जन के यात्रा की ऐसी बाट  लगी कि मैं  क्या बताऊं । दो घंटे की  उडान के दौरान बेचारे अपनी सीट में ऐसा सिमटे रहे कि कहीं वो  हमसे छू ना जाएं । उनकी मानसिकता मैं  समझ रहा  था । उन्हें लग रहा था कि बताओ  वो एक  दूध बेचने वाले  के साथ सफर कर रहे हैं । हालत ये हो गई मित्रों की पूरी यात्रा में वो अपने दोनों हाथ समेट कर अपने पेट पर ही रखे रहे । मैं बेफिक्र था और  आराम  से सफर का लुत्फ उठा रहा था।

मजेदार बात तो यह रही कि शादी के जिस समारोह में मुझे जाना था, वेचारे वे भी वहीं आमंत्रित थे । यूपी कैडर के एक बहुत पुराने आईपीएस वहां तैनात हैं । उनके बेटी की शादी में हमदोनों ही आमंत्रित थे । अब शादी समारोह में मैने भी शूट के अंदर अपने को  दबा रखा था, यहां मुलाकात हुई, तो बेचारे खुद में ना जाने क्यों  शर्मिंदा महसूस कर रहे थे ।  वैसे उनसे रहा नहीं  गया और चलते चलते उनसे हमारा परिचय भी हुआ और फिर काफी देर बात भी । वो  राजस्थान कैडर के आईएएस थे, उन्होंने मुझे अपने प्रदेश में आने का न्यौता भी दिया, हालाकि  मेरी उसके  बाद से फिर बात नहीं हुई।


Friday, November 18, 2011

कांबली : क्रिकेट का कलंक...

मैच फिक्सिंग की बात क्रिकेटर विनोद कांबली तब उठा रहे हैं जब ऐसे ही मामले में पाकिस्तान के दो बडे़ खिलाडी लंदन की जेल में सजा काट रहे हैं । उन पर स्पाट फिक्सिंग का आरोप साबित हो चुका है । बड़ा सवाल ये है कि आखिर कांबली ने इस वक्त ही ये सवाल  क्यों उठाया । क्या वो ये साबित करना चाहते हैं कि पाकिस्तान के खिलाड़ियों को ही दागी कहना गलत है, सच ये है कि फिक्सिंग में भारत समेत कई और देश भी शामिल हैं।

चलिए पहले इस मैच के बारे में बात कर लेते हैं । दरअसल ये बात 1996 विश्वकप  की है, जब कोलकता में सेमीफाइनल मैच हो रहा था और इस मैच मे भारत का मुकाबला श्रीलंका से था । कांबली का कहना है कि टास के पहले भारतीय टीम की मीटिंग मे फैसला हुआ था कि अगर हम टास  जीतते हैं  तो पहले  बल्लेबाजी करेंगे, पर ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि अजहरुद्दीन ने टास जीतने के बाद भी  पहले फिल्डिंग करने का फैसला किया । इसी  आधार पर विनोद कांबली  का आरोप है कि ये मैच कप्तान ने फिक्स  किया था ।

हालाकि इस मामले में टीम में शामिल रहे दो बड़े खिलाड़ी वेंकटपति राजू और संजय मांजरेकर ने साफ कर दिया है कि टीम की मीटिंग में ही पहले फिल्डिंग का फैसला हुआ था। इतना ही नहीं उस दौरान टीम के मैनेजर रहे  अजित वाडेकर ने भी अजहरुद्दीन को क्लीन चिट्ट देते हुए साफ किया है कि अजहरुद्ददीन के सभी फैसले में ना सिर्फ वो, बल्कि पूरी टीम शामिल थी।

खैर सारे विवादों को अलग कर दें. मेरा सीधा सवाल विनोद कांबली से है। दोस्त 1996 में विश्वकप के सेमीफाइनल जैसे महत्वपूर्ण मैच में आपको अपने ही कप्तान की भूमिका संदिग्ध लगी, पर आपने  इस मामले में उस समय सवाल नहीं उठाया। हो सकता है कि आपको डर  हो कि आप टीम से ड्राप कर दिए जाएंगे, लेकिन डियर कांबली देश से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता और आपने ये खुलासा अगर उसी समय किया होता तो आज आप देश की नजरों में बहुत ऊंचे रहते, लेकिन आज आप देश की नजरों से गिर गए हैं।

अगर ये कहा जाए कि आपने देश के साथ गद्दारी की तो कोई गलत नहीं होगा, क्योंकि क्रिकेट को देशवासी एक धर्म की तरह मानते हैं और क्रिकेटर को भगवान समझते हैं। लेकिन ये सब जानकर भी कांबली ने बिना ठोस सुबूत के पूरे देश को धोखे में रखा। ऐसे मे क्यों ने कांबली के खिलाफ ही सख्त कार्रवाई की जानी चाहिेए।
खैर ऐसी बात कह कर कांबली खुद ही बेनकाब हो गए हैं, क्योंकि देश को आज उन पर बिल्कुल भरोसा नहीं रहा। मुझे तो लगता है कि सुर्खियों मे आने के लिए कांबली ने ये शार्टकट रास्ता चुना है और इसके लिए अगर किसी मीडिया ग्रुप ने उनकी मदद की हो, तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता । खैर आज आपका चेहरा क्रिकेट के कलंक के रूप में देखा जा रहा है।

Thursday, November 17, 2011

एक नजर इधर भी...

एक राष्ट्रीय चैनल पर कल से लगातार ड्रग माफिया, भगोडा इकबाल मिर्ची का इंटरव्यू चल रहा है। सरकार ने इसे 1994 में भगोड़ा घोषित कर दिया था। संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की एक  रिपोर्ट में तो उसे दुनिया के खूंखार ड्रग माफियाओं की सूची में शामिल किया गया है। इसके अलावा  इंटरपोल ने उसके खिलाफ 1994 में रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था।
इसके इंटरव्यू को जितनी प्राथमिकता के साथ प्रसारित किया जा रहा है, इसका कारण मेरी समझ से तो परे है। सच में मैं नहीं समझ पा रहा हूं इससे ये चैनल क्या संदेश देना चाहता है। दावा किया जा रहा है कि माफिया का ये पहला इंटरव्यू है। आज तक उसने किसी समाचार पत्र या टीवी चैनल को इंटरव्यू नहीं दिया। मैं तो ये देख कर हैरान हूं। मैं वैसे भी जानना चाहता हूं कि कौन सा भगोड़ा किसी को इंटरव्यू देता हैं। फिर क्या ऐसे लोगों का इंटरव्यू इसी तरह चलाया जाना चाहिए, जैसे चलाया जा रहा है।
मुझे तो लगता है कि इकबाल मिर्ची मीडिया के जरिए ये देखना चाहता है कि क्या अभी भारत वो आए या ना आए। क्योंकि लंदन में अगले साल फरवरी तक ही रहने का उसका वीजा है। इसके बाद उसे लंदन छोडना ही होगा। मेरा सवाल है कि 15 साल से लंदन में छिपे मिर्ची को अब देश के कानून में आस्था क्यों नजर आ रही है। सच ये है कि मिर्ची लंदन में बैठ कर इंटरव्यू के बाद देश में होने वाले रियेक्शन को देख रहा है कि अब सीबीआई का रुख क्या है। अगर सीबीआई रुख उसे सख्त लगा तो वो किसी और देश में शरण ले लेगा।
अहम सवाल ये है कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्केंडेय काटजू ने मीडिया पर सख्त टिप्पणी की थी। उन्होंने यहां तक कहा कि अब पढने लिखने की आदत मीडियाकर्मी भूल चुके हैं। मीडिया को नियंत्रित करने की बात भी चल रही है, जिसका पुरजोर विरोध हो रहा है और होना भी चाहिए। 
बहरहाल अब वक्त आ गया है कि हम खुद आत्ममंथन करें और क्या सही है क्या गलत, इसे जाने। वरना जिस तरह से मीडिया की छवि समाज में लगातार गिर रही है, उससे हमारी विश्वसनीयता और ईमानदारी पर भी सवाल खड़े होने लगेंगे। इस इंटरव्यू में गंदगी की बू आ रही है। अन्ना और मिर्ची दोनों एक साथ नहीं हो सकते ना। जय हो....


(चित्र गुगल से साभार)

ये क्या है राष्ट्रपति जी...


चित्र देखकर आप हैरान होंगे, हालाकि ये तस्वीर घिनौनी जरूर दिख रही है, लेकिन इसके पीछे मकसद बहुत ही साफ सुथरा है। दरअसल चीन जिस तरह से लगातार अपनी ताकत बढा रहा है उससे अमेरिका का चिंतित होना स्वाभाविक है। मेरा मानना कि भविष्य में अगर अमेरिका को किसी दूसरे देश से चुनौती मिली तो शायद वो चीन ही होगा। इसी तरह दुनिया के कई और देशों के भी अपने पड़ोसी से या फिर दूसरे देशों संबंध सही नहीं है। इसी तरह की नफरत और घृणा को खत्म करने के लिए "अनेहेट कैंम्पेन" के नाम से एक अनोखा प्रचार शुरू किया है जानी मानी कंपनी बेनेटन ने।
आपको याद होगा कि 1990 के दशक में एक पादरी और नन के लिपलाक ( चुंबकीय संबंध) की तस्वीर जारी कर ये कंपनी दुनिया भर में छा गई थी। इस कंपनी एक बार फिर कुछ ऐसी तस्वीरें जारी की हैं जिसने पूरी दुनिया में बखेडा़ खड़ा कर दिया है। बेनेटन द्वारा जारी एक तस्वीर ब्लाग पर दे रहा हूं।  इस तस्वीर में अमेरिका के राष्ट्रपति  बराक ओबामा औरचीन के राष्ट्रपति जिनताओ हैं जो एक दूसरे से लिपलांक करते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि कपनी ने सावधानी बरतते हुए इस बार तस्वीर जारी की है। उसका मकसद भले ही इस तस्वीर के जरिए विवाद खड़ा करना हो, लेकिन कंपनी ने इसका नाम "अनहेट कैंपेन" रखा है, जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे।
वेनेटन ने इस कैंपेन के तहत लिपलाक करती कुल छह तस्वीरे जारी की हैं। इनमें फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सरकोजी, जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल, इस्राइल के बेंजामिन नेतान्याहू समेत कुछ और लोग शामिल हैं। एक तस्वीर में तो पोप को अल-अजहर मस्जिद के सेख अहमद-अल-तैयब से लिपलॉक करते दिखाया गया है। हांलाकि ये तस्वीरें सच नहीं हैं, इन सभी  तस्वीरों में छेड़छाड़ कर ऐसा किया गया है।
इस कैंपेन को शुरू करते हुए बेनेटन के इक्ज्क्यूटिव डिप्टी चेयरमैन ने पैरिस में कहा कि ये तस्वीरें 'नफरत खत्म' करने के विचार से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि इसे सेक्शुअल नजरिए से नहीं देखना चाहिए। उन्होंने ये भी साफ किया कि ये तस्वीरें थोड़ी सख्त जरूर हैं, लेकिन इसके पीछे का संदेश भी कड़ा है। अब आप इस तस्वीर को देखें और बताएं कि इस तस्वीर सै कैसे अंतर्राष्ट्रीय संबंध मजबूत होते हैं।