Tuesday, March 26, 2013

होली पर जोगीरा सररर सरर.. गाया तो खैर नहीं !

ज की सबसे बड़ी खबर यही है कि गृह मंत्रालय के अलर्ट के बाद देश के पांच बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई,  कोलकता, चेन्नई और बंगलोर में होली से ठीक 24 घंटे पहले यानि मंगलवार (26 मार्च) की रात से जोगीरा... सररर...सररर, जोगीरा... सररर...सररर....सररर...सररर गाने पर रोक लगा दी गई है। इस रोक की कोई वजह नहीं बताई गई है, लेकिन माना जा रहा है कि कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ये सख्त कदम उठाया गया है। वैसे तो पुलिस की रोक के बाद इस गाने की सीडी मार्केट से गायब हो जानी चाहिए थी, लेकिन देखा जा रहा है कि सीडी की ना सिर्फ बिक्री बढ़ी है, बल्कि इस सीडी की कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। मैं तो बचपन से देखता आ रहा हूं कि जब होली के हुड़दंगियों की टोली निकलती है तो उनके बीच में यही गाना जोगीरा... सररर...सररर, जोगीरा... सररर...सररर....सररर...सररर  सबसे ज्यादा तेज आवाज मे सुनाई देता है, जबकि सच्चाई ये है कि मुझे आज तक इस गाने की पंक्ति का अर्थ समझ में नहीं आया, लेकिन गाया तो मैने भी है। चलिए अगर आपको पता चले कि आखिर ये क्या बला है, जोगीरा... सररर...सररर तो प्लीज मुझे जरूर बताइयेगा।

इस मामले में मैने जब पुलिस से जानने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मसला है, हम इस पर कुछ भी नहीं कह सकते। इस मामले में कोई भी जानकारी गृह मंत्रालय से ही लेनी होगी। चूंकि जोगीरा... सररर...सररर....सररर... महज एक गाना नहीं है , ये लोगों के दिलों में बसा हुआ है और लोग इसे बहुत मन से गुनगुनाते हैं। ये सिर्फ हिंदुस्तान में नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी जहां भारतीय बसे हैं, वो इसे बहुत ही मन से सुनते हैं। ऐसे में इस पर रोक लगा देना और इसकी कोई वजह ना बताना वाकई हिंदुस्तानियों के मूल अधिकारों का हनन है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हम पहुंच गए गृह मंत्रालय। मैने देखा कि गृह मंत्रालय के बाहर बड़ी संख्या में लोग सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। उनकी मांग है कि अगर उन्हें जोगीरा... सररर...सररर....सररर... गाने से रोका गया तो वो घर में बने पकवान को राजपथ पर लाकर इसकी होली जलाएंगे। इस चेतावनी से मंत्रालय में हड़कंप मचा हुआ है।

बहरहाल देश में भारी नाराजगी को देखते हुए गृहमंत्रालय ने तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल, उड़ीसा, कर्नाटक, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, मणिपुर राज्यों से इस प्रतिबंध को हटा लिया है। अब इन प्रदेशों में लोग पहले की तरह ही इस गाने को गा सकेंगे। सरकार ने साफ कर दिया है कि उत्तर भारत खासतौर पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और मुंबई में तो इसे गाने की इजाजत  किसी कीमत पर नहीं दी जा सकती। पता चला है कि पिछले  साल कुछ लोगों ने 10 जनपथ के बाहर
ये गाना गा दिया था, इसके बाद से ही ये गाना और गायक दोनों सरकार की निगाह मे आ गए। जानकार तो यहां तक कहते हैं कि दस जनपथ के बाहर गाए गए इस गाने से सोनिया जी काफी ज्यादा नाराज थीं। बाद में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में कुछ महत्वपूर्ण फैसला लिया गया और उसकी जानकारी मैडम को दी गई। कहा गया कि अब होली के एक दिन पहले इस गाने पर ही रोक लगा दिया जाएगा। बहरहाल मैडम का गुस्सा देख दस जनपथ के बाहर स्कूली बच्चों से आधे घंटे तक..

ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार
हाऊ आर वंडर व्हाट यू आर ।

गाया गया। तब कहीं जाकर सोनिया जी सामान्य हुईं। हालाकि इसकी राजनीतिक हल्कों में काफी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। गाने पर रोक लगाने का आदेश देकर अपने प्रधानमंत्री तो डरबन चले गए। कहा तो ये जा रहा है कि उन्हें भी डर था कि कहीं इस बार उनके घर के बाह लोग ये गाना ना गाने लगें। इसीलिए वो होली के पहले निकल गए। वैसे पता चला है कि उनके साथ गए एक अफसर के बैग में इस गाने की सीडी बरामद हुई है। सीडी प्रकरण को प्रधानमंत्री ने बहुत गंभीरता से लिया है। उन्होंने सुरक्षा अधिकारियों से कहा कि अगर वो हमारे हवाई जहाज की सुरक्षा में इतनी लापरवाही कर रहे हैं तो देश की सुरक्षा में कितनी करते होंगे? बहरहाल इस अधिकारी को प्रधानमंत्री के साथ गई टीम से निकाल दिया गया है और उसे स्वदेश वापस भेजा जा रहा है, जबकि सीडी को नष्ट कर दिया गया है।

इस बीच राजेडी सुप्रीमों लालू यादव, समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं, उनकी मांग है कि जब तक जोगीरा... सररर...सररर....सररर... गाने पर लगी  रोक नहीं हटती है वो अपने प्रदेश वापस नहीं जाएंगे। लालू ने सरकार पर आरोप लगाया है कि एक साजिश तहत उत्तर भारत के इस लोकप्रिय गाने को दूसरे प्रदेशों को सौंपा जा रहा है। बहरहाल ये मामला आसानी से सुलझता नजर नहीं आ रहा है। इस बीच रेलमंत्री ने साफ किया है कि अगर लोगो को ये गाना इतना ही प्रिय है तो वो कुछ स्पेशल ट्रेन दक्षिण भारत के लिए चला देते हैं, लोग वहां जाकर इस गाने के साथ होली मनाएं। अभी ये मामला सुलझा भी नहीं था कि सूचना प्रसारण मंत्रालय के एक और नोटिफिकेशन से बवाल खड़ा हो गया है। बताया गया है कि कुछ नामचीन ब्लागों को लेकर मंत्रालय ने आपत्तिजनक  टिप्पणी की है। ब्लागर्स इससे काफी खफा हैं। इसकी एक कापी मेरे हाथ लग गई है, देखिए आप भी। 

उच्चारण क्या दिक्कत है ठीक कर सकते हैं ।

मेरी भावनाएं हो सके तो डायरी में लिखें।

जख्म जो फूलों ने दिए ठीक हुआ या नहीं।

दुनिया रंग रगीली  ओह ! तो  ?

चला बिहारी ब्लागर बनने पहुंचा या नही ?

यादें अब तो भूल जाइये।

उडन तस्वरी जमीन पर कब आएगी ?

कासे कहूं है भगवान खत्म नहीं हुई तलाश ?

पहली बार तो ठीक है, पर कितनी बार !

बुरांस के फूल से भला क्या, गले लगाएं।

अहसास बेमानी है।

न दैन्यं न पलायनम् बोले तो बेमानी है !

कुछ दिल से और बाकी ?

गाफिल की अमानत बोले तो अमानती सामान गृह।

अपनों का साथ यानि यादों की बारात ।

झरोखा कहां रहा, अब तक खिड़की बन गई।

कौशल दिखेगा कब ?

मैं और मेरी कविताएं और दूसरे ब्लाग पर दूसरों की।

ठाले बैठे हैं तो कुछ काम करो भाई...

जाले साफ करना जरूरी है।

हथकड़ से बचकर।

एक ब्लाग सबका सच में !

भारतीय नारी जरा  बच के !

पढ़ते-पढ़ते भी कहां पहुंचे ?

अपनी उनकी सबकी बातें यानि ग्राम पंचायत

सरोकार नहीं- नहीं सरकार !

परवाज.. शब्दों के पंख संभालना भी जरूरी

उल्टा तीर चूक गए निशाना !

मन के मन के मन चंगा तो कठौती में गंगा !

बातें कुछ दिल की कुछ जग की बेमानी है !

सुनहरी कलम से कभी ब्लाग ना लिखें

स्वप्न मेरे हकीकत क्यों नहीं हो जाते !

ताऊजी डॉट कॉम से परेशान ताईजी डॉट इन !

मग्गा बाबा का चिट्ठाश्रम से मग्गा गायब !

ताऊ डाट इन नजरबंद ।

ब्लॉग जगत के लोकप्रिय ब्लोगर्स कहां गए वो लोग !

Paradise बोले तो अब कच्चा लोहा !

मेरे गीत ! तेरे बिन सूने

My Expression बेमानी  है !

HINDI KAVITAYEN, AAPKE VICHAAR कंधे पर हल लिए किसान !

बूँद..बूँद...लम्हे.... जाया होने से बचाएं ।

अभिव्यंजना बूझो तो जानें !


बहरहाल पहली बार देख रहा हूं कि होली के ठीक पहले देश में इतना तनाव है। खासतौर पर ब्लागर्स तो सरकार के फैसले और उसकी टिप्पणी को लेकर बहुत खफा है। पता चला है कि ब्लागर्स की नाराजगी की जानकारी गृह मंत्रालय और सूचना प्रसारण मंत्रालय हो गई है। इसके बाद मंत्रालय ने  अपने नए नोटिफिकेशन में कहा है कि कोई भी "बुरा ना माने होली है" । लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आप इस नोटिफिकेशन को पढ़कर उछल जाएं और गाने लगें जोगीरा सररर सररर सरर..... ।



नोट : हां हमारे दूसरे ब्लाग यानि आधा सच पर भी आपको जाना होगा। यहां  चर्चा मंच, वटवृक्ष, ब्लाग4वार्ता पर चली कैंची पढ़ना बिल्कुल ना भूंले। चलिए जी कोई बात नहीं मैं आपको उसका लिंक भी दे देता हूं।  http://aadhasachonline.blogspot.in/2013/03/4.html

Monday, March 18, 2013

एयर इंडिया के सभी सुरक्षा अधिकारी फेल !

विदेशों में सुरक्षा ऐसे होती है !
सुबह अखबार की एक खबर ने नींद उड़ा दी। हवाई अड्डों की सुरक्षा व्यवस्था परखने के लिए व्यूरो आफ सिविल एवीएशन सिक्योरिटीज यानी बीसीएएस ने एयर लाइंस के अफसरों की परीक्षा ली, इस परीक्षा में एयर इंडिया के सभी 21 सीनियर अफसर फेल हो गए। इसके अलावा स्पाइस जेट के 4 और डायल के 18 अधिकारी भी फेल हो गए। ये हाल तब है जब हैदराबाद ब्लास्ट के बाद पूरे देश में रेड अलर्ट घोषित है, इसके तहत हवाई अड्डों की तो खासतौर पर चौकसी बढ़ाई गई है। आसानी से समझा जा सकता है कि जब अलर्ट के दौरान ये हाल है तो सामान्य दिनों में तो भगवान ही मालिक है। 

आपको बता दूं कि हवाई अड्डों की सुरक्षा को लेकर केवल भारत सरकार ही नहीं बल्कि दुनिया भर की सरकारें काफी गंभीर रहती हैं। क्योंकि कहीं भी अगर कोई लापरवाही हो गई तो हवाई जहाज के जरिए संदिग्ध व्यक्ति कहीं भी जा सकता है। इसलिए  विभिन्न एयbfर लाइंस की सिक्योरिटी विंग और सीआईएसएफ  के अधिकारियों को सुरक्षा संबंधी जिम्मेदारी सौंपने के पहले एक 15 दिन की परीक्षा ली जाती है। जिससे ये पता चल सके कि जिन अफसरों को लगाया गया है वो सुरक्षा संबंधी नियमों और बारीकियों से वाकिफ हैं या नहीं। 

हैरानी की बात ये है कि कुछ दिन पहले हुई परीक्षा में एयर इंडिया के 21 अफसर शामिल हुए, जिसमें सभी फेल हो गए। डायल एयरलाइंस के 20 अफसरों में 18 फेल हो गए, जबकि स्पाइस जेट के 7 अफसरों मे चार फेल हो गए। सबसे बड़ी बात कि सभी हवाई अड्डों की सुरक्षा इन दिनों सीआईएसएफ के पास है, इसके 35 अफसरों ने परीक्षा दी, जिसमें 22 फेल हो गए। परीक्षा में खासतौर पर टर्मिनल के प्रवेश और निकास, इन लाइन बैगेज सिस्टम, फ्रिक्सिंग, एक्सरे और बोर्डिंग गेट आदि शामिल हैं। आप जानते ही हैं कि इनमें से कहीं भी चूक हुई तो उसके कितने गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

इसके पहले एक परीक्षा आठ से 21 जनवरी 13 के बीच हुई थी। इसमे एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइस जेट और सीआईएसएफ के कुल 103 सुरक्षा अधिकारी शामिल हुए। पता है 103 में 97 अफसर फेल हो गए। जब हवाई अड्डे की सुरक्षा का ये हाल है तो आप यहां रेलवे स्टेशन या फिर बस स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था का हाल आसानी से समझ सकते हैं। मुझे लगता है कि अब सुरक्षा का मामला वाकई भगवान के हवाले कर देना चाहिए, कहां तक इतना टेंशन लेकर सफर किया जाएगा। मैं कुछ तस्वीरें दे रहा हूं, जिससे आपको आसानी से समझ मेंआ जाएगा  कि विदेशो में इस मसले को लेकर सिक्योरिटी कितनी गंभीर है। विदेशियों की सुरक्षा के मुकाबले अगर हम अपने एयरपोर्ट पर तैनात अफसरों और कर्मचारियों की तस्वीर  दिखाएं तो हम खुद ही समझ जाएंगे कि हमारी सुरक्षा वर्ल्ड क्लास है ही  नहीं। 

सीआईएसएफ का जवान एके 47 लेकर ऐसा दिखाई देगा, जैसे वो अभी आतंकियों की धर पकड़ कर उन्हें सबक सिखाने को तैयार बैठा है। पर सच बताऊं  मौका पड़ने पर पता नहीं उसकी ये एके 47 चलेगी भी या नहीं इसे लेकर भी संदेह है। चलिए जरा ये तस्वीर देखिए भारतीय जवान की। 




 देखिए ! बेचारा खड़ा भी नहीं हो पा रहा !











ये विदेशी सुरक्षा जांच है ...







देखिए कितनी गंभीरता है सुरक्षा जांच में !








ऐसी जांच हो तभी अनहोनी से बच सकते  हैं !












  माफ कीजिएगा, ये कुंभ स्नान की तस्वीर नहीं है। एयर पोर्ट पर ही सुरक्षा कारणों से लोगों ने जांच के लिए कपड़े उतारे हैं। पुरुष हो या महिला किसी को छूट नहीं !








आपको याद होगा, अमेरिका में  अभिनेता शाहरुख खान को सुरक्षा एजेंसियों ने रोक कर  जांच कर लिया तो   पूरे देश में हाय तौबा मच गया। इसमें ऐसी क्या बात हो गई अगर सुरक्षा एजेंसी ने किसी को रोक कर जांच कर लिया ? मुझे लगता है कि विदेशियों से ये सीखना  चाहिए, बेवजह का स्वाभिमान ठीक नहीं, खासतौर पर सुरक्षा के मामले में। हमें खुद आगे आना चाहिए और एंजेसियों का सहयोग करना चाहिए। 








Tuesday, March 12, 2013

समाजवादी चाचाओं के चंगुल में सीएम !

सच बताऊं मुझे मुलायम सिंह यादव के बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से काफी उम्मीदें थीं। मुझे लग रहा था कि यूपी की घटिया राजनीति से खुद को अलग रखते हुए अखिलेश ऐसा कुछ करेंगे, जिससे सूबे का भला तो होगा ही, देश को नौजवान नेता पर भरोसा होगा और आगे नौजवानों को नेतृत्व मिलने का रास्ता भी साफ हो जाएगा। पर मुझे तो अखिलेश ने बहुत निराश किया है। मैं पूछना चाहता हूं कि अगर सरकार मुलायम सिंह, आजम खां और शिवपाल यादव समेत अन्य बजुर्ग नेताओं की सलाह पर ही चलनी है तो फिर खुद मुलायम सिंह में क्या बुराई है। वही कुर्सी पर बैंठे और अपने तरीके से सरकार चलाएं। अखिलेश दिन भर समाजवादी चाचाओं और मीडिया के दिखाए रास्ते पर आंख बंद करके दौड़ लगाते रहते हैं। मुझे तो आज तक एक काम भी ऐसा नहीं दिखा, जिससे लगे की इनमें नेतृत्व की क्षमता है।
 
बताइये अगले साल होने वाले चुनाव में युवाओं को लुभाने के लिए बेरोजगारों को एक हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता बांटा जाना था। कई जगह समारोह आयोजित कर ये चेक युवाओं को थमाए भी गए और खूब फोटोबाजी हुई। लगातार अखबारों में विज्ञापन देख लखनऊ की आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी को लगा कि पता किया जाना चाहिए कि आखिर सरकार में चल क्या रहा है। उन्होंने सरकार से पूछा कि अब तक कितने बेरोजगारों को कितना धन बांटा गया है और इस आयोजन में कितने पैसे खर्च हुए हैं। जानकारी चौकाने वाली है। जो जवाब उर्वशी को मिला, उसके मुताबिक पिछले साल मार्च से नवंबर के बीच कुल 8.5 करोड़ रुपये प्रदेश में बेरोजगारी भत्ता बांटा गया है जबकि इस धनराशि के को बांटने के लिए आयोजित समारोह पर 12.5 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। ये धनराशि 10,500 युवाओं में बांटी गई है।

बताइये साहब अब अखिलेश जिनकी तुलना लोग कांग्रेस के राहुल गांधी से करते थे और बताते थे कि अखिलेश अमूल बेबी नहीं है। उनका जोड़ घटाना पक्का है। लेकिन इस हिसाब तो सच में अखिलेश का गणित बहुत कमजोर है। अब इसे क्या कहें, बेरोजगारों के प्रति उनकी संवेदनशीलता या फिर वोटों की राजनीति। आप  सब जानते हैं कि समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में यूपी के बेरोजगार युवाओं को प्रति माह 1000 तब तक देने का वादा किया है, जब तक कि उन्हें नौकरी नहीं मिल जाती। इसके लिए युवाओं की उम्र सीमा तय कर दी गई है। राज्य के 25-40 उम्र सीमा के बीच के युवाओं को इस भत्ते को पाने कि लिए पहले रजिस्ट्रेशन कराना था। जिसके बाद अखिलेश सरकार उन्हें प्रति माह हजार रुपए का भत्ता देगी। लेकिन भत्ते से ज्यादा राशि तो उन क्रायक्रमों पर खर्च कर दिया जा रहा है। ऐसे में भला यूपी का विकास कैसे हो सकता है। भाई अखिलेश जी, आंखे खोलिए, वरना देश में युवा नेतृत्व पर सवाल खड़े होने लगेंगे। वैसे ही अनाप शनाप बोल कर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला  युवाओं की किरकिरी करा चुके हैं।


Monday, March 4, 2013

बीस लाख का बलात्कार !

लात्कार के मामले में भी केंद्र की सरकार नपुंसक.. ओह इस शब्द पर मेरे विद्वान मित्रों को ऐतराज हो सकता है, चलिए मैं पूछता हूं कि इस गंभीर मामले में भी सरकार मनमोहन सिंह क्यों बनी हुई है ? अच्छा मैं मनमोहन सिंह को तो लुजलुजा पीएम पहले से ही समझता रहा हूं, लेकिन वित्तमंत्री पी चिदंबरम को क्या हो गया है ? चिदंबरम तो गृहमंत्री भी रह चुके हैं और अब वित्तमंत्री हैं। उन्हें पता है ना कि कहां डंडा चलाया जाता है और कहां संवेदना व्यक्त की जाती है। सरकार, नेता, मंत्री सबकी आंखो में एक ही चश्मा क्यों होता है ? बलात्कार की खबर मिलते ही सबसे पहले सरकारी खजाना खोला जाता है और पीड़ित परिवार को रंग बिरंगे  नोट  में तौलने की कोशिश होती है। 

मैं महिलाओं का बहुत सम्मान करता हूं और इस सवाल का जवाब उन्हीं से जानना चाहता हूं। बताइये ! इस बलात्कार और उस बलात्कार में फर्क कैसे हो सकता है ? दिल्ली की बस में हुए बलात्कार का मुआवजा 20 लाख और डीडीए का फ्लैट और गांवो के खेत मे हुए बलात्कार का मुआवजा तो दूर रिपोर्ट दर्ज नहीं होती। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि अभी दिल्ली बलात्कार शिकार के परिवार वालों से पूछें कि उन्हें मुआवजा चाहिए या फिर बलात्कारियों को सख्त सजा। उनका जवाब नि:संदेह यही होगा कि वो बलात्कारियों को सख्त सजा चाहते हैं। लेकिन शीला की सरकार है और चुनाव आने वाले हैं तो इन्हें लगता  है कि  इतना मुआवजा दे दो कि लोग बलात्कार की घटना भूल जाएं और सरकार की रहम यानि भीख को याद रखें। 

मैडम सोनिया जी अगर वित्तमंत्री ने आम बजट में निर्भया फंड का ऐलान ना किया होता सिर्फ आपने संसद को ये विश्वास दिलाया होता कि निर्भया बलात्कार के दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी और बेटी निर्भया के नाम पर फंड बनाने के बजाए कानून बनाया होता तो शायद देश की महिलाएं आपको ज्यादा सम्मान की नजर से देखतीं। लेकिन आप और आपकी सरकार को सजा में नहीं मुआवजे पर ज्यादा भरोसा है। थू........