Saturday, March 10, 2012

टीपू बन गया सुल्तान ...

बराइये नहीं यहां बात टीपू सुल्तान की नहीं हो रही है। दरअसल मुलायम सिह यादव के बेटे अखिलेश यादव को लोग घर में प्यार से टीपू बुलाते हैं। यही टीपू अब उत्तर प्रदेश का सुल्तान बन रहा है, क्योंकि पार्टी विधायक दल की बैठक में उसे नेता चुन लिया गया है। 15 मार्च को शपथ ग्रहण के बाद टीपू यूपी का सबसे कम उम्र का मुख्यमंत्री बन जाएगा।

मुख्यमंत्री भले ही टीपू बन रहा हो, लेकिन ना जाने क्यों यूपी के युवाओं की उम्मींदे काफी बढ़ गई हैं, उन्हें लग रहा है कि पहली बार ऐसा होगा जब यूपी की गद्दी को कोई ऐसा युवा संभालने जा रहा है, जिसे युवाओं की जरूरतों की जानकारी है। युवाओं की तकलीफों का उसे अहसास है। युवाओं की उम्मीदों पर अखिलेश कितने खरे उतरेंगे, ये बाद की बात है, पर आज युवाओं को लग रहा है कि यही मायने में अब सरकार में उनका प्रतिनिधित्व हो रहा है।

मुलायम सिंह यादव की पहले भी यूपी में सरकार रही है। लेकिन मैं उसे समाजवादी पार्टी की सरकार नहीं मानता। वो नचनियों और गवइयों की बुनियाद पर बनने वाली सरकार रही है। होता क्या था कि अमर सिंह कुछ फिल्मी कलाकारों को मैनेज कर लेते थे, और समाजवादी पार्टी के बैनर तले होने वाली सभाओं में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, जया प्रदा, संजय दत्त, मनोज तिवारी टाइप लोग भाषण देते थे। इन्हीं फिल्मी कलाकारों के दम पर अमर सिंह भी नेता बने घूम रहे थे। 

जिस तरह से मुर्गे को लगता है कि अगर वो सुबह सबको ना जगाए और तो दिन ही नहीं निकलेगा, उसी तरह अमर सिंह को भी लगने लगा था कि समाजवादी पार्टी उनके बगैर शून्य है। बहरहाल जिस अमिताभ बच्चन को वो बड़ा भैया कहते थे, आजकल बड़ा भैया से नाराज चल रहे हैं तो मुलायम सिंह यादव को तो वो नेता जी कहते थे, तो नेता से कितने दिनों तक बन सकती थी। खैर बात कुछ और हो रही थी, मैं कहीं और चला गया, लेकिन मेरा अभी भी पक्का मानना है कि समाजवादी पार्टी से अमर सिंह का अलग होना भी पार्टी की ऐतिहासिक जीत की एक वजह है। 
इसके अलावा मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव से भी यूपी को भगवान बचाए रखे। सच तो ये है कि शिवपाल में राजनीति की ना समझ है, ना राजनीतिक चरित्र है, ना ईमानदारी है और ना ही जनता और पार्टी में उनकी छवि ठीक है। समाजवादी पार्टी में जितने में गंदे किस्म के लोग है, उन्हें शिवपाल यादव का ही संरक्षण प्राप्त है। मुझे लगता है कि अब अखिलेश की अगुवाई में समाजवादी पार्टी मे कम से कम महिलाओं को शोषण बंद हो जाएगा। कुछ गुंडे छवि के लोगों को पार्टी में शामिल करने से साफ मना कर दिए जाने से अखिलेश का ग्राफ बहुत ऊंचा हो गया है। यही वजह  है कि लोगों की उम्मीद जगी है कि अब इस पार्टी में भी साफ सुथरे लोगों के लिए गुंजाइस बनी रहेगी।

भाई आजम खां वाकई वरिष्ठ नेता हैं। लेकिन उन्हें भी जिस तरह से इस बार चुनाव के दौरान रामपुर में ही रखा गया, उससे भी सपा को फायदा हुआ है। अब जनता गाली गलौज और गंदी सियासत को समझने लगी है। रामपुर में एक  खास परिवार को जिस तरह तल्ख भाषा में आजम खां कोसते रहते हैं, ये बात भी लोगों के गले नहीं उतरती। इसलिए जरूरी था कि आजम भाई पर नकेल कसा जाए। चुनाव प्रयार का कमान मुलायम और अखिलेश के हाथ में होने से लगा कि सच में अब समाजवादी पार्टी की सभा हो रही है, लोहियावादी नेताओं की सभा हो रही है, जनेश्वर जी जैसा सोचते थे, उन विचारों की सभा हो रही है। 

बहरहाल अब भाई अखिलेश जी आपकी ताजपोशी हो जाएगी, लेकिन आगे का काम जरा मुश्किल है। यूपी कि अफसरशाही से भी बदबू आती है। मैने देखा बीएसपी की सरकार में जिलाधिकारी.... जिलाधिकारी बन कर काम नहीं कर रहे थे, बल्कि वो बीएसपी के जिलाध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे थे। अब यूपी में मान सम्मान वाले अफसर नहीं रह गए, आपको देखना होगा कि जिस अफसर में अभी रीढ की हड्डी बची हो, उसे जिम्मेदारी का काम सौंपे, वरना जूता उठाने और उसे साफ करने वाले तो बहुत मिल जाएंगे।      

8 comments:

  1. अखिलेश (यानी के आपके टीपू सुलतान ) की असली परीक्षा अब शुरू होगी ...देखते हैं आगे क्या होगा ????

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  2. good analysis...
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  3. कल 12/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  4. अखिलेश के आने से कुछ उम्मीद तो बंधी है ...देखते हैं की असल में होता क्या है ...

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  5. राहुल गाँधी युवाओ को आगे लाने की सिफारिश कर रहे थे लेकिन उनके पास तो कोई युवा नहीं था उतर परदेश को चलने के लिए इसी लिए जनता ने टीपू को उतर परदेश की कमान दे दी जनता भी विकास चाहती है......l

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  6. अच्छा विश्लेषण किया आपने...
    टीपू सुलतान....! और पुनैया पंडित की भूमिका में मुलायम...!!!
    सादर

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  7. आप की साफ़गोई..काबले-त्तारीफ़ है ....
    शुभकामनाएँ!

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