Tuesday, October 2, 2012

इस IAS को पहचान लो !

आपको पता है लखनऊ मेल वीआईपी ट्रेन कही जाती है। इसमें ज्यादातर बड़े नेता और हुक्मरान ही सफर करते मिलते हैं। एसी फर्स्ट और एसी टू में सामान्य लोगों को बर्थ मिलना बहुत मुश्किल है। ऐसे में जब सुबह सुबह खबर मिली की एक आईएएस अफसर ने चलती ट्रेन में लड़की के साथ दुराचार करने की कोशिश की,  तो पहले यकीन नहीं हुआ। थोड़ी देर बाद मैने कुछ लोगों से बात की तो पता चला कि हां ये बात सही है।
मां के साथ सफर कर रही एक लड़की के साथ आइएएस अधिकारी शशिभूषण  ने सोमवार सुबह दुराचार का प्रयास किया। ये देख बेचारी मां तो बिल्कुल घबरा गई और उसके शोर मचाने पर आईएएस भागकर बगल की एसी फर्स्ट बोगी में छिप गया। बहरहाल ट्रेन में चल रहे रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के सुरक्षा दस्ते ने दिलेरी दिखाई और बदमाश आईएएस को पकड़कर लखनऊ में जीआरपी के हवाले कर दिया। लेकिन सच तो ये है कि बदमाशों की पहुच बहुत दूर दूर तक होती है। उनके खिलाफ कार्रवाई हो सके, ये इतना आसान नहीं है। अब देखिए ट्रेन सुबह सात बजे के करीब लखनऊ पहुंच गई। इसके साथ ही ये मामला भी जीआरपी के पास आ गया।
शिकायतकर्ता लड़की भी मौजूद है और बदमाश आईएएस भी। लेकिन पुलिस भी तो बदमाशों के पाले में खड़ी रहती है, लिहाजा उसे रिपोर्ट दर्ज कराने में पांच घंटे लग गए। बताया गया कि आरोपी आइएएस अधिकारी की पैरवी के लिए भी यहां कई लोग सक्रिय हो गए । थाने में आरोपी आईएएस ने बताया कि रास्ते में लगेज महिला की बर्थ पर गिर गया था। उसे उठाने गया था। फिर महिला ने पहले उसका नाम पूछा, नाम से उसे पता लगा कि मैं अनुसूचित जाति का हूं तो वह चिढ गई और अभद्रता का आरोप लगा दिया। हंसी आती है पढे लिखे आईएएस पर । अपने कुकर्मों को छिपाने के लिए ये बता रहा है कि मेरी जाति से वो नाराज हो गई। भाई जाति से आरक्षण लेते रहो, अब ये क्या बात है कि दुष्कर्म का आरोप लगे वहां भी जाति को आगे कर मुकदमा दर्ज होने से छूट पाने की कोशिश करो। बहरहाल पहली बार लगा कि यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव फैसला कर लेते हैं, उन्होंने कई घंटे तक मामला दर्ज न करने पर नाराजगी जताई। इसके बाद अफसरों ने इंस्पेक्टर अनिल राय को निलंबित कर दिया। रेलवे कोर्ट ने दुराचार के आरोपी आईएएस को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। 

8 comments:

  1. wow...is bat ke liye AKHILESH YADAV ki tareef karni hogi..umeed hai nyan milega..

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  2. ऐसे चहरों से नक़ाब उठाना बहुत ज़रूरी है ......
    नेक काम के लिये ...
    शुभकामनायें!

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  3. जो व्यक्ति अपने ओहदे के साथ न्याय न कर सके उसे इस ओहदे पर रहने का हक़ नहीं .....

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  4. ओहदे से चरित्र नहीं बदलता

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