Sunday, November 4, 2012

बौड़म गड़करी का बड़बोलापन

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गड़करी अब अपना संतुलन खो बैठे हैं। भोपाल में रविवार को महिलाओं के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जब उन्होंने स्वामी विवेकानंद की तुलना माफिया दाउद इब्राहिम से की तो लोग हैरान रह गए। गड़करी ने कहाकि स्वामी विवेकानंद और माफिया दाउद इब्राहिम दोनों का ही आईक्यू स्तर बराबर है। फर्क बस इतना है कि विवेकानंद ने अपने आईक्यू का इस्तेमाल देश के निर्माण में लगाया जबकि  दाऊद ने अपराध में। स्वामी विवेकानंद और दाउद के आईक्यू को एक जैसा बता कर गड़करी क्या साबित करना चाहते थे ? ये तो वही बता सकते हैं, लेकिन वहां मौजूद लोगों में किसी को ये बात समझ में नहीं आई। महिलाओं के कार्यक्रम दाउद की चर्चा आखिर क्यों ? मुझे तो लगता है कि गड़करी बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी खिसकती देख पटरी से उतर गए हैं। वैसे मेरा मानना है कि गड़करी का आईक्यू भी दाउद से कम नहीं है, जो एक छोटे से कार्यकर्ता होकर पार्टीध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच गए। एक  कार्यकाल पूरा करने के बाद दूसरे के लिए रास्ता साफ करा लिया, जबकि उनसे तमाम वरिष्ठ पार्टी नेता अभी तक इंतजार कर रहे हैं।

मुझे तो लगता है कि गड़करी की जुबान फिसली नहीं है, बल्कि इस बयान के पीछे गड़करी की गहरी साजिश है। दरअसल आजकल देश भर में जब भी गड़करी की बात होती है तो उनके भ्रष्टाचार की चर्चा हो रही है। नितिन इससे परेशान हो गए हैं। सच्चाई ये भी है कि उन्हें बीजेपी अध्यक्ष का दूसरा कार्यकाल देने का रास्ता भी साफ कर लिया गया था,  पर जिस तरह उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं, उससे अब उनका दोबारा अध्यक्ष बनना भी मुश्किल हो गया है। नितिन से संघ का भी मोह भंग होता दिखाई दे रहा है। लगता है कि इसी वजह से गड़करी उटपटांग कुछ भी बोल रहे हैं, जिससे लोगों का ध्यान उनके भ्रष्टाचार से से हट जाए। विवाद में तो वो रहें, लेकिन बात विवेकानंद और  दाऊद की हो। अगर गडकरी की ये सोच है तो एक राष्ट्रीय पार्टी के लिए वाकई ये गंभीर मसला है। 

मेरा तो गड़करी को सुझाव होगा कि बिना देरी  किए अपने इस वक्तव्य पर देश से माफी मांगकर इस विवाद को यहीं खत्म कर दें। वरना उन्हें भी लोग बडबोला गड़करी कहकर गंभीरता से लेना ही बंद कर देंगे। मैं तो यही मानता हूं कि देश को शर्मशार किया है नितिन गड़करी ने।  


एक जरूरी सूचना :-

मित्रों आपको पता है कि मैं इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुडा हूं। दिल्ली में रहने के दौरान सियासी गलियारे में जो कुछ होता है, वो तो मैं सबके सामने बेबाकी से रखता ही रहता हूं और उस पर आपका स्नेह भी मुझे मिलता है। अब लगता है कि आप में से बहुत सारे लोग टीवी न्यूज तो देखते हैं, लेकिन इसकी बारीकियां नहीं समझ पाते होगें। मैने तय किया है कि अब आपको मैं टीवी फ्रैंडली बनाऊं। मसलन टीवी के बारे में आपकी जानकारी दुरुस्त करुं, गुण दोष के आधार पर बताऊं कि क्या हो रहा है, जबकि होना क्या चाहिए। इसमें मैं आपको इंटरटेंनमेंट चैनल को लेकर भी  उठने वाले सवालों पर बेबाकी से अपनी राय रखूंगा। मेरी नजर प्रिंट मीडिया पर भी बनी रहेगी। इसके लिए मैने  एक नया ब्लाग बनाया है, जिसका नाम है TV स्टेशन ...। इसका URL है।   http://tvstationlive.blogspot.in । मुझे उम्मीद है कि मुझे इस नए ब्लाग पर भी आपका स्नेह यूं ही मिता रहेगा।   

9 comments:

  1. भाजी पी-नट की सड़ी, गंध-करी में आय ।

    है नरेंद्र उपवास पर, दाउद खाये जाय ।

    दाउद खाये जाय, गधे के माफिक आई-क्यू ।

    करे बरोबर बात, वाह रे कुक्कुर का व्यू ।

    वह भी तो ना खाय, कहो क्या कहते काजी ।

    हाँ जी हाँ जी सत्य, सड़ी निकली यह भाजी ।।

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  2. बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  3. ek dam se asangat byaan aur saamya kahin koi mel nahin .ganimat hai byaan vaapas to liyaa .

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  4. बौड़म गड़करी का बड़बोलापन
    महेन्द्र श्रीवास्तव at रोजनामचा... -

    गडकरी जी ने जो कहा वह टेक्स्ट अभी अभी पढ़ने को मिला .आपने कहा बुद्धि कौशल (आई क्यू के मामले विवेकानंद जी और गडकरी यकसां हैं विवेकानंद जी ने अपने बुद्धि कौशल का इस्तेमाल सकारात्मक करके एक शिखर को छूआ ,दाऊद ने नकारात्मक इस्तेमाल से दूसरे को .इस सन्दर्भ में एक उद्धरण गांधी जी का उन्हें उस दौर में प्यारे लाल आवारा का एक उपन्यास पढने को दिया गया इस टिपण्णी के साथ ,आप इन्हें रोकें ,ये बहुत अश्लील लिख रहें हैं ,गांधी जी ने उपन्यास पढ़ने के बाद कहा -मैंने उपन्यास पढ़ा ,मैं इसमें कोई अश्लीलता नहीं देखता ,लेखक ने यही दर्शाया है ,बुरे काम का बुरा नतीजा निकलता है .
    गडकरी जी के बयान पे इतना किसी भी पक्ष को बिदकने की ज़रूरत नहीं पड़नी चाहिए थी .


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  5. उत्कृष्ट प्रस्तुति, बहुत बढिया

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