मैं
बाबा रामदेव को "बाबा" नहीं मानता हूं, क्योंकि मेरा मानना है कि "बाबा"
में जो गुण होने चाहिए, वैसा कुछ भी इनमें नहीं है, लिहाजा इन्हें
रामदेव यानि रामू का संबोधन ही करूंगा। मुझे याद है दो साल पहले दिल्ली में
योग शिविर के नाम पर देशभर से तमाम लोगों को यहां जमा किया गया और बाद में
रामू कालाधन के मामले में सरकार से सौदेबाजी करने लग गया। सबको पता है
रामू ने देश को धोखा दिया। बात पुरानी है, पर याद कीजिए उन्होंने एक दिन
पहले ही यानि तीन जून 11 को सरकार के साथ अंदरखाने समझौता कर लिया था। फिर भी रामू
का ड्रामा जारी रहा। खुद कह रहे थे कि उनकी 90 फीसदी बात मान ली गई है, बस कुछ ही
रह गई है। लेकिन सच्चाई ये है कि कपिल सिब्बल के साथ मीटिंग में एक दिन
पहले ही वो सभी मुद्दों पर समझौता कर चुके थे। इतना ही नहीं उन्होंने ये समझौता लिखित में
किया था। अगले दिन के लिए उन्होंने सरकार से सिर्फ छह घंटे वो भी तप के लिए अनुमति मांगी और कहाकि चार जून को दोपहर ढाई बजे तक सब खत्म कर दूंगा।
ये समझौता करने के बाद भी रामदेव के चेले सुबह मंच से चंदा वसूल रहे थे।
क्या सब ड्रामा चंदे के पैसे के लिए था। पढिए उस वक्त की सनसनीखेज रिपोर्ट।
हालांकि मेरा मानना है कि रामदेव (रामू) पर ज्यादा बातें करना समय की बर्बादी भर है। अब वो पूरी तरह कारोबार कर रहे हैं और उन्हें उसी नजर से देखा जाना चाहिए। अगर दो साल पहले की बात याद की जाए तो मैं रामदेव की असलियत जानकर हैरान हूं। वो सरकार से क्या बात कर रहे थे और अपने चेलों को क्या बता रहे थे। बहरहाल मुझे सरकार से सिर्फ एक बात की शिकायत है, उन्हें रात में सोये हुए लोगों को पर लाठी बिल्कुल नहीं चलानी चाहिए थी, वरना बेवजह दिल्ली में डेरा डाले लोगो को यहां से खदेड़े जाने को तो मैं पूरी तरह जायज मानता हूं। अब हर मुद्दे पर छोटी छोटी बात रखता हूं, जिससे आपको पूरे घटनाक्रम को समझने में आसानी होगी ।
दिल्ली में सरकार है ना
रामदेव के साथ किए गए दुर्व्यवहार के बारे में मित्रों से बात हो रही थी। सबके अलग अलग विचार थे। मेरी भी राय पूछी गई। मैने साफ कहा कि दिल्ली में मुझे पहली बार लगा कि यहां कोई सरकार काम करती है। सत्याग्रह के नाम यहां जमें नौटंकीबाजों को देर रात में हटाना सही है, या गलत ये बहस का मुद्दा हो सकता है, लेकिन मैं सरकार के इस साहस की तारीफ करुंगा कि उन्होंने इतनी बड़ी भीड़ को बलपूर्वक हटाने का फैसला किया। इससे उन लोगों को सबक मिलेगा जो भीड़ को आगे कर सरकार को बंधक बनाने की कोशिश करते हैं। इस फैसले के बाद अब विरोधी कमजोर सरकार और कमजोर पीएम का राग अलापना तो बंद कर ही देगी।
संतों ने रामदेव से किया किनारा
अनशन के पहले सिर्फ एक धर्मगुरु श्री श्री रविशंकर जी रामदेव का समर्थन कर रहे थे, लेकिन इनकी हरकत देख बाद में उन्होंने भी किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके अलावा देश में तमाम धर्मगुरु हैं, पर कोई भी धर्मगुरु रामदेव के साथ खड़ा क्यों नहीं हो रहा है। क्या रामदेव के साधु धर्म की असलियत की जानकारी सभी धर्मगुरुओं को हो गई है। एक डाक्टर पिट जाता है, देश भर के डाक्टर एकजुट हो जाते हैं, एक इंजीनियर की पिटाई होती है, सभी इंजीनियर हड़ताल पर चले जाते हैं, पत्रकार की पिटाई के खिलाफ पत्रकार एकजुट हो जाते हैं। लेकिन ये बात रामदेव को सोचनी चाहिए क्यों आज उनके साथ धर्मगुरू नहीं हैं।
रामदेव की कारस्तानी
बाबा रामदेव सरकार से कुछ बातें करते रहे और लोगों को दूसरी बात बता रहे थे। हुआ ये कि एयरपोर्ट पर जब मंत्रियों के ग्रुप से रामदेव की बातचीत हुई, तभी ज्यादातर मामलों में सहमति बन गई थी। लेकिन रामदेव सभी मामलों में लिखित आश्वासन चाहते थे, लिहाजा तय हुआ कि अगले दिन यानि तीन जून को फिर मिलते हैं और सभी बिंदुओं पर लिखित आश्वासन दे दिया जाएगा। अगले दिन सरकार की ओर से रामदेव को फोन कर बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया तो, रामदेव कुछ बेअंदाज लहजे में बात कर रहे थे। जैसे मैं नार्थ ब्लाक में बात नहीं करुंगा। जबकि नार्थ ब्लाक और साउथ ब्लाक में केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण आफिस हैं। यहां बातचीत की एक अलग गरिमा होती है। बहरहाल बाद में रामदेव बात के लिए होटल में मिलने को तैयार हो गए। यहां बातचीत से रामदेव पूरी तरह समहत हो गए और सहमति का पत्र भी कपिल सिब्बल को तीन जून को ही थमा दिया और सरकार से उन्होंने आग्रह किया कि अब वो अनशन नहीं करेंगे, लेकिन उन्हें एक दिन तप करने की अनुमति दी जाए। चार जून को दोपहर ढाई बजे तक मैं सब समाप्त कर दूंगा।
वादे से पलटे रामदेव
वादे के मुताबिक रामदेव को दोपहर ढाई बजे तप खत्म करना था। इस दौरान भी उनकी लगातार सरकार से फोन पर बातचीत होती रही। और वो अब तब करते रहे। आखिर में रामदेव को चेतावनी दी गई कि अगर वो तप खत्म नहीं करते हैं तो सरकार के साथ जो समझौता उन्होंने तीन जून को किया है, उसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। इस पर रामदेव हिल गए और उन्होंने शाम को लगभग सात बजे खुद ही ऐलान किया कि उनकी सभी मांगे मान ली गई हैं, बस कुछ चीजें लिखित में आनी है और उसके बाद हम अपनी जीत मनाएंगे। यहां तक की रामदेव समेत सभी लोग मंच पर जयकारा भी करने लगे थे।
सरकार का रुख सख्त
एयरपोर्ट पर बाबा से मंत्रियों के मिलने से सरकार की काफी छीछालेदर हो चुकी थी। दरअसल मीडिया और बीजेपी ने इस मुलाकात को ऐसे पेश किया था जैसे सरकार रामदेव के आगे नतमस्तक हो गई है। रामदेव को सम्मान देने को जब सरकार की कमजोरी समझी जाने लगी तो सरकार सख्त हो गई और तय किया गया कि अब कोई मुरव्वत नहीं बरती जाएगी। जो बात रामदेव से लगातार हो रही है, अगर वो उसे मानते हुए तप खत्म नहीं करते हैं, तो सख्ती बरती जाएगी। रामदेव को ये बात पहले बताई भी गई थी। लेकिन वो भीड़ देख बेअंदाज थे, उन्हें लग रहा था कि इतनी बडी संख्या में लोग यहां है, पुलिस उनका कुछ नहीं कर पाएगी।
रामदेव और सलवार सूट
रामदेव शाम को काफी देर तक आक्रामक तेवर में बात कर रहे थे। वो शिवाजी और भगत सिंह की बात कर रहे थे। लेकिन पुलिस को देख 15 फीट ऊंचे मंच से वो महिलाओं के बीच में कूद गए। उन्हें लगा कि महिलाओं की आड़ लेकर वो यहां से चंपत हो सकते हैं। लेकिन लगातार कैमरे उन्हें कवर किए हुए थे, इसलिए भाग नहीं पाए। लेकिन जैसे ही अंधेरे का आड मिला, रामदेव अपना भगवा त्याग कर एक महिला के पहने हुए सलवार सूट को पहन कर भागने की कोशिश की। मेरा सवाल है, रामदेव जी आप तो मरने से नहीं डरते, लेकिन पुलिस को देखते ही आपने अपना भगवा धर्म तो भंग किया ही, सत्याग्रहियों को उनके हालत पर छोड़ भागने की कोशिश की।
रामू ने पिटवाया सत्याग्रहियों को
रामदेव के पास जव पुलिस पहुंची और उन्हें बताया कि रामलीला मैदान में योग कार्यक्रम की अनुमति रद्द कर दी गई है तो रामू अगर पुलिस को सहयोग करते तो यहां कोई उपद्रव नहीं होता। पुलिस अधिकारी चाहते थे कि रामू लोगों को खुद संदेश दें की वो यहां शांति बनाए रखें और पुलिस जैसा कहती है वैसा ही करें, क्योंकि पुलिस ने तमाम बसों का इंतजाम किया था जिससे लोगों को रेलवे स्टेशन या बस अड्डे तक पहुंचाया जा सके। लेकिन रामू जब महिलाओं के बीच में कूदे, तब पुलिस को हरकत में आना मजबूरी हो गई। इस तरह से रामू के सहयोग ना करने के कारण ही वहां लाठी चली, और हां जिस तरह से रामू ने उतनी ऊंचाई से छलांग लगाई वो कोई साधु संत तो नहीं लग सकता।
अनशन की हकीकत
हालाकि ये बात बहुत ही भरोसे से नहीं कही जा सकती, लेकिन रामदेव के करीबियों में ही कुछ लोग उनकी बचकानी हरकतों से खफा हैं। उनका कहना है कि रामू खुद मंच से कहते रहे कि 99 फीसदी मांगे मान ली गई हैं, तो फिर इन्हें तप नहीं करना चाहिए था। वैसे तप करने के पीछे एक वजह करोडों के चेक थे। बताते हैं कि दानदाताओं ने चेक अनशन के लिए दिया था। जब अनशन होता ही नहीं तो रामदेव को डर था कि लोग चेक को बैंक से स्टाप पेमेंट ना करा दें।
झूठ दर झूठ बोलते रहे रामदेव
मुझे लगता है कि कम से कम साधु संतो से इतनी अपेक्षा तो की ही जानी चाहिए कि वो झूठ नहीं बोलेगें, लेकिन ये तो झूठ का पुलिंदा है। अनशन शुरु करने से पहले ही सरकार से सभी बातें कर चुके थे, लेकिन अपने ही भक्तों को इस बात की जानकारी नहीं दी। लोगों को उकसाने के लिए सत्याग्रहियों से कहते रहे, मुझे दबाने की कोशिश की जा रही है। मेरी हत्या की साजिश की जा रही थी। मेरा एनकाउंटर होने वाला था। डुपट्टे से मेरा गला घोंटने की तैयारी थी। वाह रे रामदेव जी.।
हालांकि मेरा मानना है कि रामदेव (रामू) पर ज्यादा बातें करना समय की बर्बादी भर है। अब वो पूरी तरह कारोबार कर रहे हैं और उन्हें उसी नजर से देखा जाना चाहिए। अगर दो साल पहले की बात याद की जाए तो मैं रामदेव की असलियत जानकर हैरान हूं। वो सरकार से क्या बात कर रहे थे और अपने चेलों को क्या बता रहे थे। बहरहाल मुझे सरकार से सिर्फ एक बात की शिकायत है, उन्हें रात में सोये हुए लोगों को पर लाठी बिल्कुल नहीं चलानी चाहिए थी, वरना बेवजह दिल्ली में डेरा डाले लोगो को यहां से खदेड़े जाने को तो मैं पूरी तरह जायज मानता हूं। अब हर मुद्दे पर छोटी छोटी बात रखता हूं, जिससे आपको पूरे घटनाक्रम को समझने में आसानी होगी ।
दिल्ली में सरकार है ना
रामदेव के साथ किए गए दुर्व्यवहार के बारे में मित्रों से बात हो रही थी। सबके अलग अलग विचार थे। मेरी भी राय पूछी गई। मैने साफ कहा कि दिल्ली में मुझे पहली बार लगा कि यहां कोई सरकार काम करती है। सत्याग्रह के नाम यहां जमें नौटंकीबाजों को देर रात में हटाना सही है, या गलत ये बहस का मुद्दा हो सकता है, लेकिन मैं सरकार के इस साहस की तारीफ करुंगा कि उन्होंने इतनी बड़ी भीड़ को बलपूर्वक हटाने का फैसला किया। इससे उन लोगों को सबक मिलेगा जो भीड़ को आगे कर सरकार को बंधक बनाने की कोशिश करते हैं। इस फैसले के बाद अब विरोधी कमजोर सरकार और कमजोर पीएम का राग अलापना तो बंद कर ही देगी।
संतों ने रामदेव से किया किनारा
अनशन के पहले सिर्फ एक धर्मगुरु श्री श्री रविशंकर जी रामदेव का समर्थन कर रहे थे, लेकिन इनकी हरकत देख बाद में उन्होंने भी किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके अलावा देश में तमाम धर्मगुरु हैं, पर कोई भी धर्मगुरु रामदेव के साथ खड़ा क्यों नहीं हो रहा है। क्या रामदेव के साधु धर्म की असलियत की जानकारी सभी धर्मगुरुओं को हो गई है। एक डाक्टर पिट जाता है, देश भर के डाक्टर एकजुट हो जाते हैं, एक इंजीनियर की पिटाई होती है, सभी इंजीनियर हड़ताल पर चले जाते हैं, पत्रकार की पिटाई के खिलाफ पत्रकार एकजुट हो जाते हैं। लेकिन ये बात रामदेव को सोचनी चाहिए क्यों आज उनके साथ धर्मगुरू नहीं हैं।
रामदेव की कारस्तानी
बाबा रामदेव सरकार से कुछ बातें करते रहे और लोगों को दूसरी बात बता रहे थे। हुआ ये कि एयरपोर्ट पर जब मंत्रियों के ग्रुप से रामदेव की बातचीत हुई, तभी ज्यादातर मामलों में सहमति बन गई थी। लेकिन रामदेव सभी मामलों में लिखित आश्वासन चाहते थे, लिहाजा तय हुआ कि अगले दिन यानि तीन जून को फिर मिलते हैं और सभी बिंदुओं पर लिखित आश्वासन दे दिया जाएगा। अगले दिन सरकार की ओर से रामदेव को फोन कर बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया तो, रामदेव कुछ बेअंदाज लहजे में बात कर रहे थे। जैसे मैं नार्थ ब्लाक में बात नहीं करुंगा। जबकि नार्थ ब्लाक और साउथ ब्लाक में केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण आफिस हैं। यहां बातचीत की एक अलग गरिमा होती है। बहरहाल बाद में रामदेव बात के लिए होटल में मिलने को तैयार हो गए। यहां बातचीत से रामदेव पूरी तरह समहत हो गए और सहमति का पत्र भी कपिल सिब्बल को तीन जून को ही थमा दिया और सरकार से उन्होंने आग्रह किया कि अब वो अनशन नहीं करेंगे, लेकिन उन्हें एक दिन तप करने की अनुमति दी जाए। चार जून को दोपहर ढाई बजे तक मैं सब समाप्त कर दूंगा।
वादे से पलटे रामदेव
वादे के मुताबिक रामदेव को दोपहर ढाई बजे तप खत्म करना था। इस दौरान भी उनकी लगातार सरकार से फोन पर बातचीत होती रही। और वो अब तब करते रहे। आखिर में रामदेव को चेतावनी दी गई कि अगर वो तप खत्म नहीं करते हैं तो सरकार के साथ जो समझौता उन्होंने तीन जून को किया है, उसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। इस पर रामदेव हिल गए और उन्होंने शाम को लगभग सात बजे खुद ही ऐलान किया कि उनकी सभी मांगे मान ली गई हैं, बस कुछ चीजें लिखित में आनी है और उसके बाद हम अपनी जीत मनाएंगे। यहां तक की रामदेव समेत सभी लोग मंच पर जयकारा भी करने लगे थे।
सरकार का रुख सख्त
एयरपोर्ट पर बाबा से मंत्रियों के मिलने से सरकार की काफी छीछालेदर हो चुकी थी। दरअसल मीडिया और बीजेपी ने इस मुलाकात को ऐसे पेश किया था जैसे सरकार रामदेव के आगे नतमस्तक हो गई है। रामदेव को सम्मान देने को जब सरकार की कमजोरी समझी जाने लगी तो सरकार सख्त हो गई और तय किया गया कि अब कोई मुरव्वत नहीं बरती जाएगी। जो बात रामदेव से लगातार हो रही है, अगर वो उसे मानते हुए तप खत्म नहीं करते हैं, तो सख्ती बरती जाएगी। रामदेव को ये बात पहले बताई भी गई थी। लेकिन वो भीड़ देख बेअंदाज थे, उन्हें लग रहा था कि इतनी बडी संख्या में लोग यहां है, पुलिस उनका कुछ नहीं कर पाएगी।
रामदेव और सलवार सूट
रामदेव शाम को काफी देर तक आक्रामक तेवर में बात कर रहे थे। वो शिवाजी और भगत सिंह की बात कर रहे थे। लेकिन पुलिस को देख 15 फीट ऊंचे मंच से वो महिलाओं के बीच में कूद गए। उन्हें लगा कि महिलाओं की आड़ लेकर वो यहां से चंपत हो सकते हैं। लेकिन लगातार कैमरे उन्हें कवर किए हुए थे, इसलिए भाग नहीं पाए। लेकिन जैसे ही अंधेरे का आड मिला, रामदेव अपना भगवा त्याग कर एक महिला के पहने हुए सलवार सूट को पहन कर भागने की कोशिश की। मेरा सवाल है, रामदेव जी आप तो मरने से नहीं डरते, लेकिन पुलिस को देखते ही आपने अपना भगवा धर्म तो भंग किया ही, सत्याग्रहियों को उनके हालत पर छोड़ भागने की कोशिश की।
रामू ने पिटवाया सत्याग्रहियों को
रामदेव के पास जव पुलिस पहुंची और उन्हें बताया कि रामलीला मैदान में योग कार्यक्रम की अनुमति रद्द कर दी गई है तो रामू अगर पुलिस को सहयोग करते तो यहां कोई उपद्रव नहीं होता। पुलिस अधिकारी चाहते थे कि रामू लोगों को खुद संदेश दें की वो यहां शांति बनाए रखें और पुलिस जैसा कहती है वैसा ही करें, क्योंकि पुलिस ने तमाम बसों का इंतजाम किया था जिससे लोगों को रेलवे स्टेशन या बस अड्डे तक पहुंचाया जा सके। लेकिन रामू जब महिलाओं के बीच में कूदे, तब पुलिस को हरकत में आना मजबूरी हो गई। इस तरह से रामू के सहयोग ना करने के कारण ही वहां लाठी चली, और हां जिस तरह से रामू ने उतनी ऊंचाई से छलांग लगाई वो कोई साधु संत तो नहीं लग सकता।
अनशन की हकीकत
हालाकि ये बात बहुत ही भरोसे से नहीं कही जा सकती, लेकिन रामदेव के करीबियों में ही कुछ लोग उनकी बचकानी हरकतों से खफा हैं। उनका कहना है कि रामू खुद मंच से कहते रहे कि 99 फीसदी मांगे मान ली गई हैं, तो फिर इन्हें तप नहीं करना चाहिए था। वैसे तप करने के पीछे एक वजह करोडों के चेक थे। बताते हैं कि दानदाताओं ने चेक अनशन के लिए दिया था। जब अनशन होता ही नहीं तो रामदेव को डर था कि लोग चेक को बैंक से स्टाप पेमेंट ना करा दें।
झूठ दर झूठ बोलते रहे रामदेव
मुझे लगता है कि कम से कम साधु संतो से इतनी अपेक्षा तो की ही जानी चाहिए कि वो झूठ नहीं बोलेगें, लेकिन ये तो झूठ का पुलिंदा है। अनशन शुरु करने से पहले ही सरकार से सभी बातें कर चुके थे, लेकिन अपने ही भक्तों को इस बात की जानकारी नहीं दी। लोगों को उकसाने के लिए सत्याग्रहियों से कहते रहे, मुझे दबाने की कोशिश की जा रही है। मेरी हत्या की साजिश की जा रही थी। मेरा एनकाउंटर होने वाला था। डुपट्टे से मेरा गला घोंटने की तैयारी थी। वाह रे रामदेव जी.।
हम रामदेव जी को क्या ....किसी भी आम इंसान जो अपने आप को साधु-संत कहलवाते हैं ...उन्हें ना संत और ना साधु मानते हैं ...सब से सब ढोंगी है ....सब अपनी बातों से धर्म की दुकान चला रहें हैं ||
ReplyDeleteसच है. शुक्रिया
Deleteनिश्चित रूप से रामदेव की यह हरकत साधू समाज को शर्मिंदा करने वाली है। वही जनता को भी सोचना चाहिए की अपने विवेक से काम ले किसी के बहकावे मे न आए।
ReplyDeleteबिल्कुल, मैं तो इसी मत का हूं।
Deleteशुक्रिया
असल में हम इतने निकम्मे और खाली हैं की हमे कोई भी बेवकूफ बना सकता है ...हम अपना काम करने से कतराते है और दुसरे के फट्टे में टांग अड़ाते हैं ...बस बाबों के चक्कर में अपनी किस्मत चमकाते हैं ?
ReplyDeleteहम जैसा एक ढ़ूंढ़ो हज़ार मिलते हैं ............
बिल्कुल, हमें कोई भी आसानी से बेवकूफ बना जाता है।
Deleteआभार
महेंद्र जी क्षमा कीजिये किन्तु यहाँ में आपके विचारों सहमत नहीं हूँ ! हाँ में भी मानता हूँ कि बाबा से कुछ गलतियां हुयी थी जिनकी चर्चा और आपकी बातों का जिक्र करूँगा तो पूरा आलेख हो जाएगा ! इसलिए इतना ही कहना चाहूँगा कि में सहमत नहीं हूँ ! एक बात और कहना चाहूँगा कि वैचारिक मतभेद अलग बात है लेकिन आपनें कहा कि में रामदेव भी नहीं कहूँगा रामू कहूँगा यह तो वो बच्चों वाली बातें हुयी जिसमें बच्चे किसी से नाराज होते हैं तो नाम बिगाड़कर बुलाते हैं ! वैसे आप कुछ भी कह लीजिए लेकिन किसी का नाम बदल तो नहीं जाएगा !
ReplyDeleteनहीं, बिल्कुल नहीं।
Deleteरामू का मतलब होता है बच्चा
मेरा मानना है रामदेव बचपना ही तो कर रहे हैं
खैर
मैं आपकी भावनाओं की कद्र करता हूं।आपकी आस्था अभी लगे रहिए।
शर्मिंदा करने वाली हरकत
ReplyDeleteबिल्कुल, सहमत
Deleteबाबा बनकर पैसा कमाना सबसे आसान तरीका,,,
ReplyDeleteहां, ये बात भी सही है
Deleteआभार
mahender sir namaskaar
ReplyDeleteaap purnatya swami ram dev ko galat nahin thehra sakte haan yeh thik hai unse kuch galtian hue hain par sarkaar ka kaam hi hai aise prabhavshali logon ko sabse alag kar ke unke sath shadyantr karna swami ji in chalon ko samajhate nahi the anna ji ne unko samajhaya tha samjhota mat karna yeh baad mein mukur jayenge wohi hua ...
baki ramdev ji ko baba kahen ya na kahen aapka niji mamala hai par us bande ne jo logo ke liye kar dikhaya hai woh nischay hi prashansniy hai das varsh mein kitne logo ko swath jeevan jine ki jo raah dikhai hai use undekha nahi kiya ja sakta
सरिता जी, मै आपसी आस्था का सम्मान करता हूं।
Deleteमेरा मानना है कि ब्लागर्स को भावनाओं में नहीं बहना चाहिए, सच्चाई की तह तक जाने की कोशिश करनी चाहिए। रामदेव के जिस योग की बात आप कर रही हैं, दरअसल वो योग ही नहीं है। प्लीज मेरा आग्रह है कि पहले महर्षि पतंजलि का योग जिसके अनुयासी रामदेव भी हैं, उसे पढ़ लीजिए। मैं आपको एक लिंक भी दे रहा हूं। आपसे बाकी बातें फिर करूंगा ।
http://aadhasachonline.blogspot.in/2012/06/blog-post_30.html