कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों का भी बुरा हाल है। क्या करें, क्या ना करें, ये बात उनकी समझ में ही नहीं आ रही है। कामयाबी के लिए राज्य की जनता के दुखदर्द में शामिल हों या फिर सोशल साइट पर "लाइक" की संख्या बढ़ाकर लोकप्रियता के नए पैमाने पर सबसे आगे खड़े हो जाएं, वो ये तय नहीं कर पा रहे हैं। अब कांग्रेसियों ने देखा कि नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री तो गुजरात के हैं, लेकिन उनकी छवि एक राष्ट्रीय नेता की बन चुकी है, इसमें सोशल नेटवर्किंग साइट्स का अहम योगदान है। इसलिए मोदी की देखा देखी कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सोशल साइट्स पर ग्रुप बनवाया, अब "लाइक्स" की संख्या बढ़ाने के लिए सौदेबाजी पर उतर आए, लेकिन क्या करें, बेचारे अपने ही जाल में फस गए। गहलौत साहब लोकप्रियता खरीदी नहीं जा सकती, समझ में आई बात !
पूरा किस्सा सुन लीजिए , सोशल मीडिया पर जारी सियासत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत की खूब फजीहत हो रही है। आरोप है कि वो अपनी शोहरत यानि लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए आधिकारिक फेसबुक पेज के लिए 'लाइक्स खरीदने' में जुट गए हैं। वैसे तो ये काम छोटे मोटे लोग भी करते हैं, इसका फेजबुक पर बकायदा प्राविजन है। अब गहलोत ने अपने फेसबुक पेज का जिम्मा एक अलग हाईटेक टीम के हवाले कर रखा है। बताते हैं कि इस उनके इस पेज पर 1 जून तक 1,69,077 लाइक्स मिले हुए थे। इसमें भी ज्यदातर लाइक्स 5 मई वाले हफ्ते में आए हुए हैं।
अब हैरानी इस बात को लेकर है कि महज एक महीने यानि 30 जून तक ये आंकड़ा उछलकर 2,14,639 पर कैसे पहुंच गया ? इतना ही नहीं पहले मसलन एक जून तक गहलौत की " मोस्ट पापुलर सिटी " यानि गहलौत साहब कहां सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं, कहां उनके ज्यादा फालोवर हैं, ये सब जयपुर था। लेकिन अचानक "लाइक्स" की संख्या बढ़ने के बाद उनकी पापुलेरिटी जयपुर के बजाए " इंस्ताबुल " हो गया, जो तुर्की की राजधानी है। हाहाहहाहाहा। मतलब भाई गहलौत जी अब तुर्की में ज्यादा लोकप्रिय हो गए हैं।
अब विरोधी भी तो मौके की तलाश में रहते है। बीजेपी नेता किरण ने मुख्यमंत्री पर सवाल खड़े कर दिए। उनका कहना है कि गहलोत की आखिर इंस्ताबुल में इतनी चर्चा कैसे हो सकती है ? उन्होंने आरोप लगाया कि ये लाइक्स इंस्ताबुल की किसी आईटी कंपनी से खरीदे गए हैं। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस सोशल मीडिया पर भी गलत छवि पेश कर रही है। कहते हैं ना कि हर जगह टांग नहीं फंसाना चाहिए, अब मुख्यमंत्री ठहरे ठेठ राजस्थानी, कंपूटर को उन्होंने कभी हाथ नहीं लगाया होगा, फून में भी बहुत सामान्य वाला इस्तेमाल करते हैं। अब टाई लगाकर उन्हें आधुनिक बनाने की कोशिश की जा रही है। भाई गहलौत जी आप जैसे हैं वैसे ही ठीक हैं, कहीं टाई के चक्कर में पगड़ी में उतर जाए ?
पूरा किस्सा सुन लीजिए , सोशल मीडिया पर जारी सियासत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत की खूब फजीहत हो रही है। आरोप है कि वो अपनी शोहरत यानि लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए आधिकारिक फेसबुक पेज के लिए 'लाइक्स खरीदने' में जुट गए हैं। वैसे तो ये काम छोटे मोटे लोग भी करते हैं, इसका फेजबुक पर बकायदा प्राविजन है। अब गहलोत ने अपने फेसबुक पेज का जिम्मा एक अलग हाईटेक टीम के हवाले कर रखा है। बताते हैं कि इस उनके इस पेज पर 1 जून तक 1,69,077 लाइक्स मिले हुए थे। इसमें भी ज्यदातर लाइक्स 5 मई वाले हफ्ते में आए हुए हैं।
अब हैरानी इस बात को लेकर है कि महज एक महीने यानि 30 जून तक ये आंकड़ा उछलकर 2,14,639 पर कैसे पहुंच गया ? इतना ही नहीं पहले मसलन एक जून तक गहलौत की " मोस्ट पापुलर सिटी " यानि गहलौत साहब कहां सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं, कहां उनके ज्यादा फालोवर हैं, ये सब जयपुर था। लेकिन अचानक "लाइक्स" की संख्या बढ़ने के बाद उनकी पापुलेरिटी जयपुर के बजाए " इंस्ताबुल " हो गया, जो तुर्की की राजधानी है। हाहाहहाहाहा। मतलब भाई गहलौत जी अब तुर्की में ज्यादा लोकप्रिय हो गए हैं।
अब विरोधी भी तो मौके की तलाश में रहते है। बीजेपी नेता किरण ने मुख्यमंत्री पर सवाल खड़े कर दिए। उनका कहना है कि गहलोत की आखिर इंस्ताबुल में इतनी चर्चा कैसे हो सकती है ? उन्होंने आरोप लगाया कि ये लाइक्स इंस्ताबुल की किसी आईटी कंपनी से खरीदे गए हैं। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस सोशल मीडिया पर भी गलत छवि पेश कर रही है। कहते हैं ना कि हर जगह टांग नहीं फंसाना चाहिए, अब मुख्यमंत्री ठहरे ठेठ राजस्थानी, कंपूटर को उन्होंने कभी हाथ नहीं लगाया होगा, फून में भी बहुत सामान्य वाला इस्तेमाल करते हैं। अब टाई लगाकर उन्हें आधुनिक बनाने की कोशिश की जा रही है। भाई गहलौत जी आप जैसे हैं वैसे ही ठीक हैं, कहीं टाई के चक्कर में पगड़ी में उतर जाए ?
ha ha ha ha .ab to bure fase gahlot ji....
ReplyDeleteअरे ये सब नेता है, कोई फंसने वाला नहीं
Deleteलोकप्रियता के लिए क्या क्या करना पड़ता है लेकिन गहलोत महोदय भूल गए कि इस्ताम्बुल वाले नहीं राजस्थान वाले ही चुनावों में वोट डालेंगे !!
ReplyDeleteहाहाहहाहाहहा, यही तो फंस गए बेचारे
Deleteलोकप्रियता के लिए लोकप्रिय होना जरूरी होता है ,,
ReplyDeleteजी, ये तो सही है, लेकिन लोकप्रिय राजस्थान में हो तो अच्छा है। तुर्की से क्या फायदा..हाहाहहा
Deleteनेताओं का अजब गजब खेल
ReplyDeleteजी, ये तो है..
Deleteआभार
गहलोत साहब जी अच्छा काम करिए खुद पब्लिक लाइक करेगी लाइक खरीदने की क्या जरुरत है.... बहुत घटिया काम......
ReplyDeleteजी, अब ये बात गहलौत जी के समझ में क्यों नहीं आ रही है..
Deleteआभार
शुभ प्रभात
ReplyDeleteएक कड़ुआ सच उजागर किया आपने
यही हाल रायपुर के एक नेता का भी है
जी नमस्ते
Deleteअच्छा, ये रोग रायपुर में भी है।
बहुत बढिया
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (11-07-2013) को चर्चा - 1303 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार
Deleteबस हाय! हाय! करने को जी करता है..
ReplyDeleteजी, सही कहा आपने
Deleteआभार
यह भी खूब रही!
ReplyDeleteकुर्सी का लालच जो न कराए कम है!
जी, देख लीजिए नेता लोगों को क्या क्या करना पड़ता है,
Deleteलोग कहते हैं कि नेतागिरी बहुत आसान है..मैं तो नहीं मानता।
aj to jhakhmari bhi asan nahi
Deleteasan to aj jakmari bhi nahi
Deleteहम तो बिना पैसा लिए ही लाईक कर देते हैं...:)
ReplyDeleteसही बाबा , हम तो इस बारे में सोचते भी नहीं है।
Deleteहाहाहहा
बेचारा-
ReplyDeleteनक़ल के लिए भी अकल चाहिए-
बढ़िया है आदरणीय-
आभार रविकर भाई
Deleteकाश हम भी मुख्मंत्री होते ...!!!
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