सच कहूं, जब आपके दिन बुरे चल रहे हों, तो भले ही आप हाथी पर क्यों ना बैठे हों, कुत्ता काट ही लेगा। राजनीति में भी हमेशा एक सा नहीं रहता, कुछ ऐसा वैसा चलता ही रहता है। दो दिन पहले कुछ बुद्धिजीवियों के साथ बैठा था। यहां सभी राजनीति के गिरते स्तर और भ्रष्टाचार पर बहुत दुखी थे। हमने कहा कि दुखी होने से तो कुछ होने वाला नहीं है, कुछ करना होगा ना। एक साहब ने कहाकि अगर उड़ते हुए जहाज से एक नेता को नदी में गिराया जाए तो इससे " पलूसन " होगा, लेकिन इसी जहाज पर देश के सभी नेताओं को बैठा कर अगर उन्हें ऊपर से नदी में गिरा दिया जाए तो भारतीय राजनीति का " सलूसन " निकल आएगा।
सामान्य माहौल में भी नेताओं के प्रति लोगों का गुस्सा देखकर मैं बहुत हैरान था। कई बार सोचता हूं क्या वाकई देश की लीडरशिप इसी काबिल है कि उन्हें उड़ते जहाज से नदी में गिरा देना चाहिए ? अच्छा ये बातें सुनते सुनते जब मैं थक गया तो बोले बिना रहा नहीं गया, मैने कहाकि इसका मतलब आप सब संसद पर हमले को सही मानते हैं ? क्योंकि अगर हमला कामयाब हो जाता तो देश की लीडरशिप ही तो मारी जाती ! मैं यहीं नहीं रुका, कहा कि अगर संसद पर हमले को आप जायज ठहराते हैं तो हमले के साजिशकर्ता अफजल गुरू की फांसी को गलत मानते होंगे ? फिर तो अफजल का सम्मान होना चाहिए ? बहरहाल इसके बाद लोग चुप हो गए और बात बदल कर हिंदू मुस्लिम वोटों की शुरू हो गई।
बातचीत के दौरान एक साहब ने बढिया किस्सा सुनाया। कहने लगे छत्तीसगढ में चुनाव को देखते हुए राहुल गांधी और नरेन्द्र मोदी जनसंपर्क को निकले। घने जंगल में बसे गांव के एक-एक घर जाकर लोग वोट की अपील कर रहे थे। इसी संपर्क के दौरान दोनों नेता अपने समर्थकों से बिछड़ गए और जंगल में भटक गए। अंधेरा होने को था, अचानक जंगल में ही मोदी और राहुल की मुलाकात हो गई। दोनों मुश्किल में थे, लिहाजा दोनों गले मिले, एक दूसरे की खूब तारीफ की। लेकिन अब दोनों को भूख सता रही थी। पर खाने को कुछ नहीं था। जंगल में किसी तरह रात बीती, सुबह वो फिर रास्ता तलाशने निकले। भूख से दोनों का बुरा हाल था। कुछ दूर चले तो सामने एक मस्जिद दिखाई दी। राहुल गांधी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने मोदी को सलाह दी कि सामने मस्जिद है, आजकल रमजान का मौका है, वो हमें जरूर कुछ खाने पीने को देंगे, बस हम अपना नाम थोड़ा बदल लेते हैं।
मोदी चुपचाप राहुल की बात सुनते रहे, राहुल ने कहा कि मैं अहमद हो जाता हूं आप मोहम्मद बन जाइए। क्या करना है कुछ खाने को तो मिल जाएगा। मोदी उखड़ गए, उन्होंने कहा बिल्कुल नहीं, मैं एक हिंदू राष्ट्रवादी हूं, मैं भूखा रह सकता हूं, सिर्फ खाने के लिए धर्म नहीं बदल सकता। खैर राहुल को भूख बर्दास्त नहीं हो रही थी, कुछ देर बाद दोनों ही मस्जिद पुहंच गए। वहां राहुल ने अपना नाम अहमद हसन बताया और खुश हो गए कि अब कुछ खाने को मिलेगा। मोदी ने अपना पूरा नाम बताया और कहाकि मेरा नाम नरेन्द्र दामोदर भाई मोदी है। मौलाना ने कारिंदों को आवाज देकर बुलाया और कहा कि अरे भाई देखो मोदी साहब आए हैं, इन्हें खाना वाना खिलाइये। राहुल की ओर इशारा करते हुए मौलवी साहब ने कहाकि अहमद हसन साहब आपका तो रोजा होगा, शाम को रोजा इफ्तार कीजिएगा। तब तक आप आराम कीजिए। वैसे ये तो किस्सा है, लेकिन एक खास तबके के वोट के लिए जिस तरह कुछ राजनीतिक दल के नेता लार टपका रहे हैं, कल को उनकी ऐसी ही दुर्गति हो तो हैरानी नहीं होगी।
सामान्य माहौल में भी नेताओं के प्रति लोगों का गुस्सा देखकर मैं बहुत हैरान था। कई बार सोचता हूं क्या वाकई देश की लीडरशिप इसी काबिल है कि उन्हें उड़ते जहाज से नदी में गिरा देना चाहिए ? अच्छा ये बातें सुनते सुनते जब मैं थक गया तो बोले बिना रहा नहीं गया, मैने कहाकि इसका मतलब आप सब संसद पर हमले को सही मानते हैं ? क्योंकि अगर हमला कामयाब हो जाता तो देश की लीडरशिप ही तो मारी जाती ! मैं यहीं नहीं रुका, कहा कि अगर संसद पर हमले को आप जायज ठहराते हैं तो हमले के साजिशकर्ता अफजल गुरू की फांसी को गलत मानते होंगे ? फिर तो अफजल का सम्मान होना चाहिए ? बहरहाल इसके बाद लोग चुप हो गए और बात बदल कर हिंदू मुस्लिम वोटों की शुरू हो गई।
बातचीत के दौरान एक साहब ने बढिया किस्सा सुनाया। कहने लगे छत्तीसगढ में चुनाव को देखते हुए राहुल गांधी और नरेन्द्र मोदी जनसंपर्क को निकले। घने जंगल में बसे गांव के एक-एक घर जाकर लोग वोट की अपील कर रहे थे। इसी संपर्क के दौरान दोनों नेता अपने समर्थकों से बिछड़ गए और जंगल में भटक गए। अंधेरा होने को था, अचानक जंगल में ही मोदी और राहुल की मुलाकात हो गई। दोनों मुश्किल में थे, लिहाजा दोनों गले मिले, एक दूसरे की खूब तारीफ की। लेकिन अब दोनों को भूख सता रही थी। पर खाने को कुछ नहीं था। जंगल में किसी तरह रात बीती, सुबह वो फिर रास्ता तलाशने निकले। भूख से दोनों का बुरा हाल था। कुछ दूर चले तो सामने एक मस्जिद दिखाई दी। राहुल गांधी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने मोदी को सलाह दी कि सामने मस्जिद है, आजकल रमजान का मौका है, वो हमें जरूर कुछ खाने पीने को देंगे, बस हम अपना नाम थोड़ा बदल लेते हैं।
मोदी चुपचाप राहुल की बात सुनते रहे, राहुल ने कहा कि मैं अहमद हो जाता हूं आप मोहम्मद बन जाइए। क्या करना है कुछ खाने को तो मिल जाएगा। मोदी उखड़ गए, उन्होंने कहा बिल्कुल नहीं, मैं एक हिंदू राष्ट्रवादी हूं, मैं भूखा रह सकता हूं, सिर्फ खाने के लिए धर्म नहीं बदल सकता। खैर राहुल को भूख बर्दास्त नहीं हो रही थी, कुछ देर बाद दोनों ही मस्जिद पुहंच गए। वहां राहुल ने अपना नाम अहमद हसन बताया और खुश हो गए कि अब कुछ खाने को मिलेगा। मोदी ने अपना पूरा नाम बताया और कहाकि मेरा नाम नरेन्द्र दामोदर भाई मोदी है। मौलाना ने कारिंदों को आवाज देकर बुलाया और कहा कि अरे भाई देखो मोदी साहब आए हैं, इन्हें खाना वाना खिलाइये। राहुल की ओर इशारा करते हुए मौलवी साहब ने कहाकि अहमद हसन साहब आपका तो रोजा होगा, शाम को रोजा इफ्तार कीजिएगा। तब तक आप आराम कीजिए। वैसे ये तो किस्सा है, लेकिन एक खास तबके के वोट के लिए जिस तरह कुछ राजनीतिक दल के नेता लार टपका रहे हैं, कल को उनकी ऐसी ही दुर्गति हो तो हैरानी नहीं होगी।
सुन्दर !!
ReplyDeleteआभार ..
Deleteye hai rajneeti ka asli chehra ..majedar ..
ReplyDeleteजी ये तो हैं...
Deleteहमेशा किस्सों में सच्चाई का अंश छुपा होता है ???:-)))
ReplyDeleteमैं भी इस बात से सहमत हूं..
Deleteकहानी में जो हुआ बहुत अच्छा हुआ... मजेदार....
ReplyDeleteआभार ...
Deleteसही कहा आपने .....बेचारे राहुल
ReplyDeleteवही तो ...सच सच है और झूठ आखिर झूठ है
आभार
Deleteअपने देश की राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है ...क्या सच और क्या झूठ .....इस राजनीति में सब चलता है
Deleteकोई किस्सा हो या राजनीति ...सब एक दूसरे का गला काटने में लगे हैं
जी...
Deletebahot sundar likhkha hai aapne.....
ReplyDeleteशुक्रिया भाई
Deleteवाह !
ReplyDeleteआभार
Deleteसत्यमेव जयते ।
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