सच बताऊं मुझे मुलायम सिंह यादव के बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से काफी उम्मीदें थीं। मुझे लग रहा था कि यूपी की घटिया राजनीति से खुद को अलग रखते हुए अखिलेश ऐसा कुछ करेंगे, जिससे सूबे का भला तो होगा ही, देश को नौजवान नेता पर भरोसा होगा और आगे नौजवानों को नेतृत्व मिलने का रास्ता भी साफ हो जाएगा। पर मुझे तो अखिलेश ने बहुत निराश किया है। मैं पूछना चाहता हूं कि अगर सरकार मुलायम सिंह, आजम खां और शिवपाल यादव समेत अन्य बजुर्ग नेताओं की सलाह पर ही चलनी है तो फिर खुद मुलायम सिंह में क्या बुराई है। वही कुर्सी पर बैंठे और अपने तरीके से सरकार चलाएं। अखिलेश दिन भर समाजवादी चाचाओं और मीडिया के दिखाए रास्ते पर आंख बंद करके दौड़ लगाते रहते हैं। मुझे तो आज तक एक काम भी ऐसा नहीं दिखा, जिससे लगे की इनमें नेतृत्व की क्षमता है।
बताइये अगले साल होने वाले चुनाव में युवाओं को लुभाने के लिए बेरोजगारों को एक हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता बांटा जाना था। कई जगह समारोह आयोजित कर ये चेक युवाओं को थमाए भी गए और खूब फोटोबाजी हुई। लगातार अखबारों में विज्ञापन देख लखनऊ की आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी को लगा कि पता किया जाना चाहिए कि आखिर सरकार में चल क्या रहा है। उन्होंने सरकार से पूछा कि अब तक कितने बेरोजगारों को कितना धन बांटा गया है और इस आयोजन में कितने पैसे खर्च हुए हैं। जानकारी चौकाने वाली है। जो जवाब उर्वशी को मिला, उसके मुताबिक पिछले साल मार्च से नवंबर के बीच कुल 8.5 करोड़ रुपये प्रदेश में बेरोजगारी भत्ता बांटा गया है जबकि इस धनराशि के को बांटने के लिए आयोजित समारोह पर 12.5 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। ये धनराशि 10,500 युवाओं में बांटी गई है।
बताइये साहब अब अखिलेश जिनकी तुलना लोग कांग्रेस के राहुल गांधी से करते थे और बताते थे कि अखिलेश अमूल बेबी नहीं है। उनका जोड़ घटाना पक्का है। लेकिन इस हिसाब तो सच में अखिलेश का गणित बहुत कमजोर है। अब इसे क्या कहें, बेरोजगारों के प्रति उनकी संवेदनशीलता या फिर वोटों की राजनीति। आप सब जानते हैं कि समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में यूपी के बेरोजगार युवाओं को प्रति माह 1000 तब तक देने का वादा किया है, जब तक कि उन्हें नौकरी नहीं मिल जाती। इसके लिए युवाओं की उम्र सीमा तय कर दी गई है। राज्य के 25-40 उम्र सीमा के बीच के युवाओं को इस भत्ते को पाने कि लिए पहले रजिस्ट्रेशन कराना था। जिसके बाद अखिलेश सरकार उन्हें प्रति माह हजार रुपए का भत्ता देगी। लेकिन भत्ते से ज्यादा राशि तो उन क्रायक्रमों पर खर्च कर दिया जा रहा है। ऐसे में भला यूपी का विकास कैसे हो सकता है। भाई अखिलेश जी, आंखे खोलिए, वरना देश में युवा नेतृत्व पर सवाल खड़े होने लगेंगे। वैसे ही अनाप शनाप बोल कर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला युवाओं की किरकिरी करा चुके हैं।
अखिलेश यादव...अभी मुख्यमंत्रीपद्ध के सही दावेदार नहीं थे ...बहुत जल्दी कर दी उन्होंने इस कार्य के लिए ...सही और गलत के फेर में वो खुद ही नादानियाँ करते जा रहें है
ReplyDeleteजी बात तो सही है
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