Thursday, November 17, 2011

एक नजर इधर भी...

एक राष्ट्रीय चैनल पर कल से लगातार ड्रग माफिया, भगोडा इकबाल मिर्ची का इंटरव्यू चल रहा है। सरकार ने इसे 1994 में भगोड़ा घोषित कर दिया था। संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की एक  रिपोर्ट में तो उसे दुनिया के खूंखार ड्रग माफियाओं की सूची में शामिल किया गया है। इसके अलावा  इंटरपोल ने उसके खिलाफ 1994 में रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था।
इसके इंटरव्यू को जितनी प्राथमिकता के साथ प्रसारित किया जा रहा है, इसका कारण मेरी समझ से तो परे है। सच में मैं नहीं समझ पा रहा हूं इससे ये चैनल क्या संदेश देना चाहता है। दावा किया जा रहा है कि माफिया का ये पहला इंटरव्यू है। आज तक उसने किसी समाचार पत्र या टीवी चैनल को इंटरव्यू नहीं दिया। मैं तो ये देख कर हैरान हूं। मैं वैसे भी जानना चाहता हूं कि कौन सा भगोड़ा किसी को इंटरव्यू देता हैं। फिर क्या ऐसे लोगों का इंटरव्यू इसी तरह चलाया जाना चाहिए, जैसे चलाया जा रहा है।
मुझे तो लगता है कि इकबाल मिर्ची मीडिया के जरिए ये देखना चाहता है कि क्या अभी भारत वो आए या ना आए। क्योंकि लंदन में अगले साल फरवरी तक ही रहने का उसका वीजा है। इसके बाद उसे लंदन छोडना ही होगा। मेरा सवाल है कि 15 साल से लंदन में छिपे मिर्ची को अब देश के कानून में आस्था क्यों नजर आ रही है। सच ये है कि मिर्ची लंदन में बैठ कर इंटरव्यू के बाद देश में होने वाले रियेक्शन को देख रहा है कि अब सीबीआई का रुख क्या है। अगर सीबीआई रुख उसे सख्त लगा तो वो किसी और देश में शरण ले लेगा।
अहम सवाल ये है कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्केंडेय काटजू ने मीडिया पर सख्त टिप्पणी की थी। उन्होंने यहां तक कहा कि अब पढने लिखने की आदत मीडियाकर्मी भूल चुके हैं। मीडिया को नियंत्रित करने की बात भी चल रही है, जिसका पुरजोर विरोध हो रहा है और होना भी चाहिए। 
बहरहाल अब वक्त आ गया है कि हम खुद आत्ममंथन करें और क्या सही है क्या गलत, इसे जाने। वरना जिस तरह से मीडिया की छवि समाज में लगातार गिर रही है, उससे हमारी विश्वसनीयता और ईमानदारी पर भी सवाल खड़े होने लगेंगे। इस इंटरव्यू में गंदगी की बू आ रही है। अन्ना और मिर्ची दोनों एक साथ नहीं हो सकते ना। जय हो....


(चित्र गुगल से साभार)

5 comments:

  1. समुद्र मंथन में जो लगा हो, उसे सुझाव कैसा - इस बारीकी को और लोग समझें , बस यही चाहती हूँ

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  2. सिर्फ टीआरपी के लिए किसी भगोडे... किसी अपराधी का साक्षात्‍कार दिखा कर मीडिया न जाने क्‍या साबित करना चाहता है।
    यह इंटरव्‍यू तो नहीं देखा पर इसका प्रोमो उस चैनल में दिन भर चलता रहा इसे देखा था..... उस वक्‍त मेरा अनुमान था कहीं चैनल ने दाऊद से तो बात नहीं कर ली.... वैसे भी दाऊद का भारत प्रेम इस वक्‍त सुनने में आ रहा है.... वह भारत में दफन होना चाहता है।
    खैर....
    अच्‍छा लिखा है आपने।

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  3. भाई महेंद्र जी आपकी लेखनी भी बेबाक होती है यहाँ आना सुखद लगा |

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  4. interview के ज़रिये इनका महत्व बेकार बढ़ाया जा रहा है.

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  5. अब तो भरोसा ही उठ गया है मीडिया से.

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