जी हां, आज यही कहानी सुन लीजिए, ऊंचे लोग ऊंची पसंद । मेरी तरह आपने भी महसूस किया होगा कि एयरपोर्ट पर लोग अपने घर या मित्रों से अच्छा खासा अपनी बोलचाल की भाषा में बात करते रहते हैं, लेकिन जैसे ही हवाई जहाज जमीन छोड़ता है, इसमें सवार यात्री भी जमीन से कट जाते हैं और ऊंची ऊंची छोड़ने लगते हैं। मुझे आज भी याद है साल भर पहले मैं एयर इंडिया की फ्लाइट में दिल्ली से गुवाहाटी जा रहा था । साथ वाली सीट पर बैठे सज्जन कोट टाई में थे, मैं तो ज्यादातर जींस टीशर्ट में रही रहता हूं। मैंने उन्हें कुछ देर पहले एयरपोर्ट पर अपने घर वालों से बात करते सुना था, बढिया राजस्थानी भाषा में बात कर रहे थे। लेकिन हवाई जहाज के भीतर कुछ अलग अंदाज में दिखाई देने लगे। सीट पर बैठते ही एयर होस्टेज को कई बार बुलाकर तरह तरह की डिमांड कर दी उन्होंने । खैर मैं समझ गया, ये टिपिकल केस है । बहरहाल थोड़ी देर बाद ही वो मेरी तरफ मुखातिब हो गए ।
सबसे पहले उन्होंने अंग्रेजी में मेरा नाम पूछा तो मैने उन्हें बताया कि गुवाहाटी जा रहा हूं । उन्होंने फिर दोहराया मैं तो आपका नाम जानना चाहता था, मैने फिर गुवाहाटी ही बताया। उनका चेहरा सख्त पड़ने लगा, तो मैने उन्हें बताया कि मैं थोडा कम सुनता हूं और हां अंग्रेजी तो बिल्कुल नहीं जानता हूं । इस समय उनका चेहरा देखने लायक था । बहरहाल दो बार गुवाहाटी बताने पर उन्हें मेरा नाम जानने में कोई इंट्रेस्ट नहीं रह गया । कुछ देर बाद उन्होंने कहा कि आप काम क्या करते हैं। मैने कहा दूध बेचता हूं । दूध बेचते हैं ? वो घबरा से गए, मैने कहा क्यों ? दूध बेचना गलत है क्या ? नहीं नहीं गलत नहीं है, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि आप क्या कह रहे हैं, मतलब आपकी डेयरी है ? मैने कहा बिल्कुल नहीं दो भैंस हैं, दोनो से 12 किलो दूध होता है, 2 किलो घर के इस्तेमाल के लिए रखते हैं और बाकी बेच देता हूं।
पूछने लगे गुवाहाटी क्यों जा रहे हैं.. मैने कहा कि एक भैंस और खरीदने का इरादा है, जा रहा हूं माता कामाख्या देवी का आशीर्वाद लेने । मित्रों इसके बाद तो उन सज्जन के यात्रा की ऐसी बाट लगी कि मैं क्या बताऊं । दो घंटे की उडान के दौरान बेचारे अपनी सीट में ऐसा सिमटे रहे कि कहीं वो हमसे छू ना जाएं । उनकी मानसिकता मैं समझ रहा था । उन्हें लग रहा था कि बताओ वो एक दूध बेचने वाले के साथ सफर कर रहे हैं । हालत ये हो गई मित्रों की पूरी यात्रा में वो अपने दोनों हाथ समेट कर अपने पेट पर ही रखे रहे । मैं बेफिक्र था और आराम से सफर का लुत्फ उठा रहा था।
मजेदार बात तो यह रही कि शादी के जिस समारोह में मुझे जाना था, वेचारे वे भी वहीं आमंत्रित थे । यूपी कैडर के एक बहुत पुराने आईपीएस वहां तैनात हैं । उनके बेटी की शादी में हमदोनों ही आमंत्रित थे । अब शादी समारोह में मैने भी शूट के अंदर अपने को दबा रखा था, यहां मुलाकात हुई, तो बेचारे खुद में ना जाने क्यों शर्मिंदा महसूस कर रहे थे । वैसे उनसे रहा नहीं गया और चलते चलते उनसे हमारा परिचय भी हुआ और फिर काफी देर बात भी । वो राजस्थान कैडर के आईएएस थे, उन्होंने मुझे अपने प्रदेश में आने का न्यौता भी दिया, हालाकि मेरी उसके बाद से फिर बात नहीं हुई।
सबसे पहले उन्होंने अंग्रेजी में मेरा नाम पूछा तो मैने उन्हें बताया कि गुवाहाटी जा रहा हूं । उन्होंने फिर दोहराया मैं तो आपका नाम जानना चाहता था, मैने फिर गुवाहाटी ही बताया। उनका चेहरा सख्त पड़ने लगा, तो मैने उन्हें बताया कि मैं थोडा कम सुनता हूं और हां अंग्रेजी तो बिल्कुल नहीं जानता हूं । इस समय उनका चेहरा देखने लायक था । बहरहाल दो बार गुवाहाटी बताने पर उन्हें मेरा नाम जानने में कोई इंट्रेस्ट नहीं रह गया । कुछ देर बाद उन्होंने कहा कि आप काम क्या करते हैं। मैने कहा दूध बेचता हूं । दूध बेचते हैं ? वो घबरा से गए, मैने कहा क्यों ? दूध बेचना गलत है क्या ? नहीं नहीं गलत नहीं है, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि आप क्या कह रहे हैं, मतलब आपकी डेयरी है ? मैने कहा बिल्कुल नहीं दो भैंस हैं, दोनो से 12 किलो दूध होता है, 2 किलो घर के इस्तेमाल के लिए रखते हैं और बाकी बेच देता हूं।
पूछने लगे गुवाहाटी क्यों जा रहे हैं.. मैने कहा कि एक भैंस और खरीदने का इरादा है, जा रहा हूं माता कामाख्या देवी का आशीर्वाद लेने । मित्रों इसके बाद तो उन सज्जन के यात्रा की ऐसी बाट लगी कि मैं क्या बताऊं । दो घंटे की उडान के दौरान बेचारे अपनी सीट में ऐसा सिमटे रहे कि कहीं वो हमसे छू ना जाएं । उनकी मानसिकता मैं समझ रहा था । उन्हें लग रहा था कि बताओ वो एक दूध बेचने वाले के साथ सफर कर रहे हैं । हालत ये हो गई मित्रों की पूरी यात्रा में वो अपने दोनों हाथ समेट कर अपने पेट पर ही रखे रहे । मैं बेफिक्र था और आराम से सफर का लुत्फ उठा रहा था।
मजेदार बात तो यह रही कि शादी के जिस समारोह में मुझे जाना था, वेचारे वे भी वहीं आमंत्रित थे । यूपी कैडर के एक बहुत पुराने आईपीएस वहां तैनात हैं । उनके बेटी की शादी में हमदोनों ही आमंत्रित थे । अब शादी समारोह में मैने भी शूट के अंदर अपने को दबा रखा था, यहां मुलाकात हुई, तो बेचारे खुद में ना जाने क्यों शर्मिंदा महसूस कर रहे थे । वैसे उनसे रहा नहीं गया और चलते चलते उनसे हमारा परिचय भी हुआ और फिर काफी देर बात भी । वो राजस्थान कैडर के आईएएस थे, उन्होंने मुझे अपने प्रदेश में आने का न्यौता भी दिया, हालाकि मेरी उसके बाद से फिर बात नहीं हुई।
hahahaha bechare tipical indian mentality ke the aur aapne unke safr ka maza kirkira kar diya.....
ReplyDeleteKya baat hai Mahendra ji. Parh kar mazaa aa gaya.
ReplyDeletecpmishra
लगता है बेचारे ने कभी सच में भैसों का काम किया होगा तभी तो बोलती बन्द हो गयी, जोरदार
ReplyDeletehahahahhahaahaha...इस बार की आपकी पोस्ट सच में मज़ा आ गया पढ़ के ......बहुत बार ऐसा देखने को मिलता है ...जाने अनजाने ऐसा हर किसी के साथ घटित हो जाता है ...आपने तो उनपर उलट वार कर दिया...पर हर कोई ऐसा नहीं कर पाता ......
ReplyDeleteमतलब आपने ऊँचे बनने की ख्वाहिश की बैंड बजा दी ...
ReplyDeleteVery interesting!
ReplyDeleteवाह यह भी मजेदार किस्सा।
ReplyDeleteआपके पोस्ट से जो जानकारी मिली उसके लिए आपका शुक्रिया.....बहुत सुंदर पोस्ट!!
ReplyDeleteha ha.. very good. I like the way you write. its really an eye opener & enjoyable too...
ReplyDeleteआनन्द आ गया। हमारे एक मित्र हैं, फौज में थे। जब रेल में सफर करते थे तो कुर्ता पहन लेते थे। बडी सी मूछे रखते हैं और डील-डौल भी बढिया ही है। पास वाला यात्री जब उनसे परिचय पूछता था तो वे कहते थे कि चमार हूं। बस फिर सारे रास्ते वे पसरे रहते थे और सामने वाला सिकुड़ा हुआ रहता था।
ReplyDeleteकल 06/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
:-))
ReplyDeleteबहुत बढ़िया....
सही है जो अंग्रेजी ना बोले वो कहाँ का ऊँचा...
वो तो दूध वाले भैया ही हुए :-)
ऊंचे लोग,ऊंची पसंद... नाम ही काफी है ...वाह - वाह
ReplyDeleteअपने आपको समझदार कहने वाले, अक्सर अपनी मानसिकता बता देते हैं...
ReplyDeleteआपकी भैसों को शुभकामनायें !
वाह ...बहुत ही रोचक प्रसंग था ,बहुत खूब
ReplyDeleteबहूत बढीया सर आपने तो उन सज्जन को अच्छा मजा चखाया
ReplyDeleteबहूत मजेदार रही आपकी यह पोस्ट....
rochak post....
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