जी ! अगर मैं आज पूर्व आईपीएस अधिकारी किरन बेदी को जनलोकपाल बिल का रोड़ा कहूं तो गलत नहीं होगा, क्योंकि मेरा पहले से ही ये मानना रहा है कि अगर जनलोकपाल बिल को संसद में पास होने में किसी तरह की अड़चन आई तो उसके लिए जिम्मेदार कांग्रेस, बीजेपी या और कोई राजनीतिक दल नहीं होगा, बल्कि खुद अन्ना की टीम के अहम सहयोगी जिम्मेदार होगे। दरअसल आज देश में लोकपाल बिल से कहीं ज्यादा टीम अन्ना के सदस्यों पर लगे गंभीर आरोपों की चर्चा हो रही है। टीम अन्ना के ज्यादातर सदस्य आरोपी हैं । मैं नहीं कहता कि उन्होंने कामनवेल्थ या टू जी घोटाले जैसा कोई महाघोटाला कर दिया, लेकिन मेरा मानना है कि जिस स्तर की चोरी में उनके सदस्यों का नाम आ रहा है, वो शर्मनाक ज्यादा है। जिस तरह के आरोप लगते हैं, उससे इतना तो हम कह सकते हैं कि इन लोगों को बडे माल पर हाथ साफ करने का मौका ही नहीं मिला, वरना ये उससे चूकते नहीं। बहरहाल एक ताजा मामले का खुलासा और हुआ है किरन बेदी के खिलाफ। इसमें कहा गया है कि किरन बेदी ने अपने ट्रस्ट "मेरी पुलिस" के नाम पर बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ के साथ ही राज्य पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों के परिवार वालों और बच्चों को कम्प्यूटर ट्रेनिंग के साथ ही कम्प्यूटर वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया था। इसके लिए पुलिस से उन्हें चार सेंटर उपलब्ध कराए गए थे, जबकि माइक्रोसाफ्ट कंपनी से 50 लाख रुपये का दान मिला। दावा किया जा रहा था ट्रेनिंग मुफ्त होगी, लेकिन उन्होंने इसके लिए हर बच्चे से 15- 15 हजार रुपये वसूल किए। इस मामले में एक वकील ने न्यायालय में वाद दायर किया है, जिस पर कोर्ट ने किरन बेदी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए हैं।
मुझे नहीं पता कि इस पूरे प्रकरण में किरन वेदी कितना जिम्मेदार हैं, लेकिन इतना तो साफ है कि किरन बेदी भी साफ सुधरी अधिकारी नहीं रही हैं। खास बात ये है कि वो जिस तरह के मामले में शामिल बताई जा रही हैं, वो शर्मनाक ज्यादा लगता है। अब सवाल ये है कि हवाई जहाज के किराए में हेरा फेरी का मामला खुला, दान लेकर भी बच्चों से पैसा वसूला गया।
बहरहाल अब अन्ना को चाहिए कि वो अपने सबसे ऊपर वाले मंच पर अपनी टीम को ना आने दें। उनकी टीम के ज्यादातर सदस्य उनके बगल में खड़े होने लायक नहीं हैं। किरन से तो मेरा सवाल भी है कि क्या अब आप अगले अनशन में उसी शान से हाथ में तिरंगा लहरा सकती हैं, जैसे लहराया करती थीं। क्या अब डुपट्टा ओढ़कर सांसदों की नकल करने में शर्म महसूस नहीं होगी।
मेरा मानना है कि इस पवित्र आंदोलन से किरन बेदी को तब तक खुद हट जाना चाहिए, जब तक उन पर लगे सभी आरोपों से वो बेदाग नहीं हो जाती हैं। वरना अन्ना के आंदोलन पर जो धब्बा लगेगा, उसका दाग छुडा पाना असंभव होगा।
जो बात आप कह रहे है वो ही तो सरकार भी चाहती है कि ये अन्ना दल वाले किसी तरह चुप हो, जहाँ इन्हे कुछ हजार का घपला किया है या मौका नहीं मिला है, वहीं हजारों लाखों करोड खाने के बाद भी बडे-बडॆ नेता साफ़ बच जायेंगे, किसी का कुछ नहीं बिगडेगा, आज तक किसी एक ने भी मुश्किल से सजा पायी होगी और वो भी भुगती नहीं होगी।
ReplyDelete"इन लोगों को बडे माल पर हाथ साफ करने का मौका ही नहीं मिला, वरना ये उससे चूकते नहीं।"
ReplyDeleteइससे सटीक टिप्पणी नहीं हो सकती. अन्ना अपना बचाव कर पाएँ तो बस है.
अन्ना हज़ारे पर मैंने अपने ब्लॉग पर आलेख लिखा है. आपके पधारने से खुशी होगी. लिंक-
ReplyDeleteMEGHnet
आपके ब्लॉग पर आने का मतलब है कि कुछ नया पढने को मिलना ...
ReplyDeleteजानकारी के लिए आभार
You are right. If Anna have to move ahead with his fight against corruption then it becomes mandatory for his team members to come clean in front of public. Every member of team Anna is now facing the same corruption charges. May be this could be a plot to weaken the strong movement led by Anna Hazare. The outstanding support he got from across India has also carry a strong message that if you want to lead a movement for transparency you must start with your home first.
ReplyDeletebhai mahendra ji ,achche mile,pehchanliya hoga ,ranjan raghuvanshi hoon,dost sarkar ne desh mai kis koaisa chora hai jise apradh bodh na karya ho ,chlte huye sadak par thok dena bhi,ya sadak par moongfali ka chilka dalna bhi to apradh hai,to fir lootne diya jaye desh ko,aur sarkaron mai bethe bhristh neta deshaur desh basiyon ko "vishesadhikar" aur "manavadhikar " ke aad me nigalte jayen.than u dear.
ReplyDeletekuchh alag se kuchh hat ke nayi soch ke sath aapka likha huaa kamal hai .aapne sahi socha hai
ReplyDeletebadhai
rachana