भारत रत्न को लेकर नियमों जो बदलाव सरकार ने किए है, ये सही नहीं है। अभी तक कला, साहित्य, विज्ञान और लोकसेवा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वालों को ही ये सम्मान दिया जाता था, लेकिन अब इसे किसी भी क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करने वालों के लिए खोल दिया गया है। मेरा मानना है कि किसी भी क्षेत्र में शानदार उपलब्धि हासिल करने वाले को ये सम्मान देने का ऐलान कर सरकार इसमें भी राजनीति करने की सोच रही है। सच तो ये है कि भारत रत्न के नियमों में बदलाव की बात क्रिकेटर सचिन तेदुलकर को लेकर शुरू हुई थी। इसके अलावा अभी तक किसी और क्षेत्र में ये पुरस्कार देने की मांग नहीं हो रही है। अच्छा होता कि इसमें सिर्फ खेल को शामिल किया जाता।
" किसी भी क्षेत्र " शब्द का इस्तेमाल किए जाने से इस पुरस्कार की गरिमा पर धब्बा लगा है। अब सरकार इसे भी पद्मश्री बना देगी। क्योंकि इन पुरस्कारों में राजनीति होती है। कई क्षेत्रों में आज भी ऐसे लोग हैं, जिन्हे पद्मश्री मिल जाना चाहिए था, पर उन्हें नहीं दिया गया है और सत्ता के करीबियों को ये सम्मान दिया गया।
सरकार बनाने और बचाने के खेल में भी कहीं इसका इस्तेमाल शुरू ना हो जाए। पिछले दिनों एक नेता का समर्थन जुटाऩे के लिए एक एयरपोर्ट का नाम उस नेता के पिता के नाम कर दिया गया था। अब भारत रत्न भी चला करेगा। बहरहाल नियमों में बदलाव सचिन तेंदुलकर के लिए किया गया है तो उनके सौवें शतक पर उन्हें ये सम्मान देने का ऐलान कर दिया जाना चाहिए। हाकी के जादूगर ध्यानचंद्र को उसी समय ये सम्मान दिया गया होता तो ज्यादा बेहतर था, आज हाकी की जो हालात है, खैर उस पर चर्चा करना भी ठीक नहीं है।
baat bilkul sahi hai... aage dekhen kya hota hai !
ReplyDeleteइस शतक पर शतक वोट की नजर है !
ReplyDeleteसचिन एक टीम के लिए खेलते हैं, क्या इस बात पर ही उन्हें भारत रत्न दे दिया जाना चाहिए... लंबे चौडे बहस का मुद्दा है, फिलहाल यही बडा मुद्दा है कि भारत रत्न का वजन कम करने का काम सरकार ने किया है...... और मीडिया..... कुछ चैनल एसएमएस करा रहे हैं लोगों से ध्यानचंद और सचिन को लेकर...... मोबाईल हाथ में थामने और एसएमएस की कला जानने वाले अधिकतर ने क्या ध्यानचंद को देखा है...... फिर कैसे वो दोनों की तुलना कर एसएमएस सही कर पाएंगे....
ReplyDeleteअच्छी और विचारणीय पोस्ट।